कई मौकों पर एक्सपर्ट्स कहते रहे हैं कि चीन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है. चीन को सबक सिखाने के लिए कई मौकों पर हम चीनी सामानों का बायकॉट भी करते हैं. खासकर दिवाली के मौके पर हर साल चीनी सामानों के बहिष्कार की अपील की जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसका कुछ असर होता भी है या नहीं. चीनी सामानों के बायकॉट का असर चीन से हमारे कारोबार पर पड़ता है? भारत चीन के साथ कितने अरब रुपए का कारोबार करता है. हम चीन को कितना निर्यात करते हैं और कितने का आयात. क्या चीन के साथ व्यापार करना हमारी मजबूरी है. इन सारे सवालों के जवाब की पड़ताल करेंगे आज के नो दिस में..बस आप बने रहिए हमारे साथ.
क्या कहते हैं आंकड़े?
GAC यानी कि चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम की ओर से आंकड़ें जारी किये गये हैं. जिनके अनुसार, चीन से भारत का इम्पोर्ट काफी बढ़ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2020-21 में भारत ने चीन को 26.3 अरब डॉलर का निर्यात किया है. जबकि इसी अवधि में भारत ने चीन से 87.8 अरब डॉलर का आयात किया है. यानी भारत ने जितना माल चीन को निर्यात किया, उससे 61.5 अरब डॉलर ज्यादा आयात किया. इस लिहाज से भारत का व्यापार घाटा करीब 54 फीसदी बढ़कर 61.5 अरब डॉलर हो गया है. हैरानी की बात ये है कि जब भारत में सरकार द्वारा मेक इन इंडिया और प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी कई स्कीमें चलायी जा रही हैं ताकि भारत आत्मनिर्भर बन सके साथ ही काफी वक़्त से भारत में बायकॉट चाइना वाली मुहिम भी चल रही है, ऐसे में ये बात बहुत हैरान करती है कि भारत का चीन से इम्पोर्ट घटने के बजाय बढ़ रहा है.
किन चीजों का चीन से आयात?
हर साल की तरह 2021 में भी भारत ने चीन से सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मंगाए हैं. साथ ही मशीनरी, केमिकल, प्लास्टिक, फर्टिलाइजर, आयरन-स्टील भी चीन से भारत आया है. कभी कॉपर कैथोड का भारत चीन को निर्यातक हुआ करता था, लेकिन अब ये इसका आयात करने वाला हो चुका है. इसी तरह पिछले कुछ सालों में कॉटन के निर्यात में भी गिरावट आई है. वहीं भारत अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर चीन से तैयार उत्पादों का आयात करता है. जैसे भारत में जब टेलीकॉम क्रांति हुई तो इसके लिए जरूरी टेलीकॉम इक्विपमेंट और मोबाइल फोन बड़े पैमाने पर चीन से आयात किए गए. हालांकि भारत सरकार के प्रोत्साहन से अब देश में ही मोबाइल फोन के प्रोडक्शन को बढ़ावा मिला है, इस वजह से मोबाइल आयात में कमी आई है.
भारत को बढ़ाना होगा निर्यात
चीन से व्यापारिक असंतुलन के चलते भारत को बड़े पैमाने पर अपने विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा चीन को सौंपना पड़ रहा है. जो कि भारत के लिए नुकसान है. इसके अलावा चीन भारत से सस्ता कच्चा माल खरीदता है और उनसे तैयार उत्पाद को महंगी कीमतों में भारत को निर्यात करता है. इससे वहां के कारोबारी अच्छी कमाई करते हैं और साथ में वहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं. इधर एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत को चाइनीज इम्पोर्ट रोकने के बजाय अपना निर्यात बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए. भले ही इसके लिए चाइनीज कंपोनेंट, मशीनरी और कच्चे माल का सहारा क्यों न लेना पड़े. वहीं कॉमर्स मिनिस्ट्री की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत ने बीते साल निर्यात में तेजी दिखाई है. हालांकि चीन से इम्पोर्ट बढ़ा है, लेकिन कई चीजों के आयात में उस पर से निर्भरता घटी है. बता दें कि पिछले साल भारत ने चीन को चावल का रिकॉर्ड निर्यात किया है. इसके अलावा भी कई खाद्य सामान के निर्यात में तेजी आई है. देश का कुल निर्यात बीते अक्टूबर तक 300 अरब डॉलर को पार कर गया था और इस वित्त वर्ष (2021-22) में इसके 400 अरब डॉलर के लक्ष्य के भी पार जाने की उम्मीद है.