श्रीलंका में इकनॉमिक एमरजेंसी यानी आर्थिक आपातकाल घोषित किया जा चुका है. देश में खाने पीने की चीजों की भयंकर कमी हो चुकी है और फूड प्राइसेज आसमान छूने लगे हैं. निजी बैंकों के पास फूड इंपोर्ट के लिए विदेशी मुद्रा खत्म हो चुकी है. नो दिस के इस वीडियो हम आपको बताएंगे भारत के पड़ोस में आखिर फाइनेंशियल एमरजेंसी की नौबत क्यों आ गई? हम जानेंगे कि आर्थिक आपातकाल आखिर होता क्या है. किन हालात में इसकी घोषणा करनी पड़ती है? और इसके लागू होने से क्या बदल जाएगा? साथ ही आपको बताएंगे क्या भारत में कभी ऐसी स्थिति आई है?
श्रीलंका में क्यों लगा आर्थिक आपातकाल?
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने 30 अगस्त को देश में economic emergency की घोषणा कर दी. और 7 सितंबर को श्रीलंका की संसद ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी. राजपक्षे ने यह कदम देश में लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से उठाया. देश की करेंसी की कीमत में तेजी से गिरावट के बाद खाने-पीने की चीजों के दाम में भयानक उछाल आ गया है. आपको बता दें कि श्रीलंकाई रुपए में इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 7.5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
इसकी एक वजह कोविड-19 महामारी भी बताई जा रही है. क्योंकि श्रीलंका को पर्यटन उद्योग से सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा हासिल होता है. जबकि महामारी ने टूरिज्म सेक्टर को पूरी चौपट कर दिया है. लिहाजा पिछले साल ही देश की अर्थव्यवस्था 3.6 फीसदी गिर गई थी. हालात ऐसे हैं कि अब भी श्रीलंका में कोविड-19 पर काबू नहीं पाया गया है. मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं.
आर्थिक आपातकाल घोषित होने से क्या होगा?
फूड एमरजेंसी के बाद देश में जरूरी चीजों की जमाखोरी नहीं की जा सकेगी. जिसमें चावल और चीनी जैसे खाद्य सामान भी शामिल हैं. सरकार ने इमरजेंसी लागू होते ही सेवायुक्त मेजर जनरल को इसेंशियल सर्विसेज का कमिश्नर जनरल नियुक्त कर दिया है. जिन्हें व्यापारियों और retailers के पास जमा फूड स्टॉक को जब्त करने और उनकी कीमतों को रेगुलेट करने की ताकत दे दी गई है.
क्या होता है आर्थिक आपातकाल?
जब भी किसी सरकार को अपने देश में भारी आर्थिक संकट पैदा होने के हालात नजर आते हैं. देश की financial stability को खतरा नजर आता है तब आर्थिक आपातकाल की घोषणा कर दी जाती है. आम तौर पर सरकारें ये सख्त कदम तब उठाती है जब बिगड़ते आर्थिक हालात की वजह से देश में bankruptcy के आसार नजर आने लगते हैं. आपको बता दें कि भारत में कभी भी आर्थिक आपातकाल लगाने की नौबत नहीं आई.