रूस यूक्रेन जंग को शुरू हुए लगभग डेढ़ महीना पूरा हो चुका है लेकिन युद्ध के खत्म होने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं. हाल ही में बूचा नरसंहार की खबरों ने सबको चौंका कर रख दिया. इसके साथ ही भारत की ओर से भी मामले पर बयान सामने आया है. UNSC में भारत ने ‘बूचा नरसंहार’ की कड़ी निंदा की. भारतीय प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने UNSC में कहा कि यूक्रेन की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिखा है. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको रूस यूक्रेन जंग पर भारत के रुख के बारे में सब कुछ बताएंगे. आप वीडियो के आकिर तक बने रहिए हमारे साथ.
टीएस तिरुमूर्ति ने UNSC में कहा कि बुचा में नागरिकों के मारे जाने की हालिया रिपोर्ट बहुत परेशान करने वाली है. हम स्पष्ट रूप से इन हत्याओं की निंदा करते हैं और एक स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं. यूक्रेन में गंभीर मानवीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत, यूक्रेन और उसके पड़ोसियों को मानवीय आपूर्ति, दवाएं और अन्य आवश्यक राहत सामग्री भेज रहा है. हम आने वाले समय में यूक्रेन को और ज्यादा मेडिकल सप्लाय देने के लिए तैयार हैं.
तिरुमूर्ति की ओर से दिए गए इस बयान को यूक्रेन युद्ध पर भारत की ओर से आई अब तक की सबसे कड़ी प्रतिक्रिया माना जा रहा है. कई लोग इसे भारत के रुख में बदलाव के संकेत के रूप में भी देख रहे हैं. हालांकि भारत की इस टिप्पणी में रूस का ज़िक्र नहीं किया गया है.
24 फरवरी से शुरू हुई जंग के चलते अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत तमाम पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस की निंदा की और उसके ख़िलाफ़ कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन भारत ने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है. भारत सरकार की ओर से अब तक किसी भी बयान में रूस की निंदा नहीं की गई है. साथ ही भारत इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तमाम प्रस्तावों पर अपना पक्ष रखने से बचा है. अब ये पहला मौका है जब भारत ने निंदा करने का फ़ैसला किया है.
ऐसे में सबके दिमाग में सवाल है कि क्या वाकई भारत अपना रुख बदल रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत के इस बयान में वो साफ तौर पर किसी का समर्थन नहीं कर रहा है. न भारत ने पश्चिमी देशों के मत का समर्थन किया है और न रूस के बचाव में कोई बयान दिया है. बयान के मुताबिक मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और उसके जो भी नतीजे आते हैं उसके हिसाब से जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है कि इस मुद्दे पर भारत के रुख कोई बड़ा बदलाव हुआ है. भारत अभी भी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की बात कर रहा है और कह रहा है कि इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाया जाए. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत आखिर कब तक कूटनीतिक रूप से संवेदनशील रुख बनाए रख सकता है.