दुनिया में पहली बार अमेरिका के डॉक्टर्स ने एक इंसान में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया है. इस खबर के सामने आते ही हर कोई चर्चा कर रहा है कि आखिर सूअर का दिल इंसान के शरीर में कैसे लगाया जा सकता है... यह ट्रांसप्लांट कितना मुश्किल था...ट्रांसप्लांट के लिए सूअर को ही क्यों चुना गया... ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की क्या स्थिति है... इन सभी सवालों के जवाब आज हम आपको इस वीडियो में देंगे. आप देख रहे हैं नो दिस बने रहिए हमारे साथ.
57 वर्षीय डेविड बेनेट हार्ट के मरीज रह चुके हैं. heart failure और दिल की धड़कन असामान्य होने की वजह से बेनेट में इंसान के दिल का ट्रांसप्लांट पॉसिबल नहीं था. ऐसे में बेनेट की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने सूअर का दिल ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया. उनके पास जिंदा रहने के लिए और कोई विकल्प ही नहीं था. अमेरिका की मैरिलैंड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में 9 घंटे की सर्जरी के बाद उनके शरीर में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया.
दुनिया में ये पहली बार है जब किसी इंसान में सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया हो. हालांकि सूअर के हार्ट वॉल्व का इस्तेमाल इंसान के वॉल्व बदलने के लिए किया जाता रहा है. बेनेट के डॉक्टरों ने बताया कि सर्जरी के तीन दिन बाद बेनेट का स्वास्थ्य अच्छा है और ट्रांसप्लांट किया गया सूअर का दिल सामान्य तरीके से काम कर रहा है. ये दिल इंसान के दिल जैसा ही पल्स और प्रेशर क्रिएट कर रहा है.
आइए अब जानते हैं कि मरीज में सूअर का दिल कैसे लगाया गया?
ट्रांसप्लांट के लिए सूअर के जीन में कुल 10 बदलाव किए गए ताकि ह्यूमन बॉडी इसे स्वीकार कर सके. सूअर में कुछ ऐसे जीन भी इंजेक्ट किए गए जो इसके हार्ट के आकार को बढ़ने से रोकते हैं, ताकि इंसानी शरीर में पहुंचने के बाद यह स्थायी रहे. इसके लिए जीन एडिटिंग तकनीक का सहारा लिया गया. 9 घंटे चली सर्जरी के दौरान मरीज के डैमेज हार्ट को निकाला गया और सूअर के जेनेटिकली मोडिफाइड हार्ट को ट्रांसप्लांट किया गया.
आइए अब समझते हैं कि ट्रांसप्लांट के लिए सूअर का हार्ट ही क्यों चुना गया ?
डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज के लिए सूअर का हार्ट चुनने की कई वजह रही हैं. सूअर का दिल आसानी से उपलब्ध हो सकता है. साथ ही 6 महीने के अंदर इसके दिल के आकार को इंसानी हार्ट के आकार के मुताबिक बदला जा सकता है. यही वजह है कि कई बायोटेक कंपनियां सूअर के अंगों को विकसित कर रही हैं ताकि इनका इस्तेमाल ह्यूमन ट्रांसप्लांट के लिए किया जा सके. सूअर लंबे समय से इंसानों में संभावित ट्रांसप्लांट का प्रमुख विकल्प माने जाते रहे हैं क्योंकि सूअर के जींस इंसानों से काफी मिलते हैं. बता दें इंसानों में सूअरों के कई अन्य अंगों जैसे- किडनी, लिवर और फेफड़े को ट्रांसप्लांट किए जाने को लेकर भी रिसर्च जारी है.
बता दें जानवर के अंगों को इंसान में ट्रांसप्लांट करने के प्रोसेस को जिनोट्रांसप्लांटेशन कहते हैं.
1960 में 13 लोगों में चिम्पाजी की किडनी लगाई गई थी, इनमें से 12 लोगों की हफ्ते भर में मौत हो गई थी, जबकि एक मरीज नौ महीने तक जिंदा रहा. 1992 में पहली बार इंसान के शरीर में लंगूर का लीवर ट्रांसप्लांट किया गया. हालांकि 70 दिन बाद मरीज की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई. 1993 में 62 साल के एक शख्स में लंगूर का लीवर ट्रांसप्लांट किया गया लेकिन 26 दिन बाद उसकी मौत हो गई. फिलहाल बेनेट को डॉक्टर्स की देखरेख में रखा गया है. देखना होगा बेनेट का शरीर इस नए हार्ट को कितना स्वीकार कर पाता है.