रूस और यूक्रेन संकट सुलझता नहीं दिख रहा है. हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन को लेकर एक बड़ा एलान किया है. उन्होंने पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों डोनेत्स्क और लुहंस्क को एक देश के तौर पर मान्यता दे दी. पुतिन के इस ऐलान के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया. डोनेत्स्क और लुहांस्क पूर्वी यूक्रेन के दो अलगाववादी क्षेत्र हैं, जो 2014 में यूक्रेनी सरकार के नियंत्रण से अलग हो गए थे. उस वक्त इन्होंने खुद को स्वतंत्र 'People's Republic' घोषित कर दिया था. आज नो दिस के इस वीडियो में हम जानेंगे कि आखिर अलग देश कैसे बनता है... साथ ही इन दो क्षेत्रों के इतिहास पर भी नजर डालेंगे. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
डोनेत्स्क और लुहंस्क पर साल 2014 से अलगाववादियों का कब्जा है. यूक्रेन का दावा है कि रूस यहां के बागियों की फंडिंग करता है और हथियार भी भेजता है. मार्च 2014 में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था... उसके कुछ दिन बाद ही रूस समर्थित अलगाववादियों ने डोनेत्स्क और लुहंस्क पर भी कब्जा कर लिया. फिर अप्रैल 2014 में दोनों क्षेत्रों ने खुद को एक अलग देश के तौर पर घोषित कर लिया.
आइए अब जानते हैं कि अलग देश किस तरह बनता है. आखिर कैसे किसी नए देश को मान्यता मिलती है? 1933 की मॉन्टे वीडियो कंवेंशन में देश को स्वी.कार करने की थ्योयरी दी गई. इसके मुताबिक किसी देश को तभी मान्यता मिल सकती है, जब उसके पास एक निश्चित क्षेत्र हो, आबादी हो, सरकार हो और दूसरे देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता हो. ये भी ध्यादन में रखा जाता है कि बहुमत से मूल देश से अलग होने का फैसला हुआ हो. साथ ही, उसका 'संप्रभु राज्य' होना भी जरूरी है यानि एक ऐसा राज्य जो किसी के अधीन नहीं है और अपने अंदरूनी और बाहरी फैसलों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं है.
बता दें सिर्फ खुद के ऐलान करने से ही कोई क्षेत्र अलग देश नहीं बन जाता है. दुनिया के दूसरे देशों और संयुक्त राष्ट्र से भी मान्यता लेनी पड़ती है. अगर यूएन किसी देश को मान्यता दे देता है तो उसे काफी हद तक अलग देश मान लिया जाता है. यूएन वहां की जनता के अधिकारों, उनकी इच्छा, सीमा के आधार जैसे अलग अलग मापदंडो के आधार पर नए देश को मान्यता देता है. UN से मान्य.ता मिलते ही उस देश की करेंसी इंटरनेशनली वैलिड हो जाती है. इसके बाद अन्यन देशों से लेन-देन किया जा सकता है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड, वर्ल्डद बैंक जैसी संस्थाहएं भी UN से मान्यकता प्राप्तड देशों को ही सदस्यं बनाती हैं. यूएन से मान्यता लेने के लिए आवेदन करना होता है, जिस पर 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद' की मीटिंग में फ़ैसला होता है. अगर ये काउंसिल उस नए देश को मान्यता दे देती है, तभी असली मायनों में उस देश की अंतराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज होगी.
यूक्रेन के मामले में सोवियत संघ के भी कई अधिकार हैं, जिसमें कहा गया है कि सोवियत संघ के हर राज्य को अलग देश बनने का अधिकार है. बता दें सोमालिया में सोमालीलैंड 1991 से खुद को अलग देश कहता आ रहा है लेकिन कोई और मुल्के इसे नहीं मानता. सर्बिया के कोसोवो ने भी 2008 में खुद को स्वेतंत्र घोषित कर दिया था, कुछ देश इसे मान्येता भी देते हैं. ऐसे में अन्य देशों की ओर से अलग देश मानना जरूरी है.
डोनेत्स्क और लुहंस्क दोनों ही क्षेत्रफल के लिहाज से बहुत बड़े इलाके हैं, लेकिन इनके कुछ ही हिस्सों पर अलगाववादियों का कब्जा है. डोनेत्स्क और लुहंस्क कोल माइनिंग और स्टील प्रोडक्शन के लिए जाने जाते हैं. रूसी मान्यता का मतलब है कि अब मॉस्को इन अलगाववादी क्षेत्रों में खुले तौर पर सैन्य बल भेज सकता है और तर्क दे सकता है कि वह एक सहयोगी देश के रूप में यूक्रेन के खिलाफ उनकी रक्षा के लिए हस्तक्षेप कर रहा है. देखना होगा कि बाकी देशों का इस पर क्या रुख होगा.