इन दिनों कुछ पड़ोसी मुल्कों जैसे पाकिस्तान और श्रीलंका में आर्थिक संकट की खबरें खूब चर्चा में हैं. बढ़ते विदेशी कर्ज और डूबती इकोनोमी के मद्देनजर इकोनोमिक एक्सपर्ट्स का अंदाजा है कि जल्द ही ये देश दिवालिया हो सकते हैं. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर किसी मुल्क का दिवालिया होना क्या होता है... कोई देश दिवालिया कब होता है... डिफ़ॉल्टर किसे कहते है... इस मामले में भारत का क्या इतिहास है... साथ ही जानेंगे कि फिलहाल कौन से देश दिवालिया होने की कगार पर हैं. आप वीडियो के एंड तक बने रहिए हमारे साथ.
समय पर कर्ज नहीं चुकाने वाले को डिफॉल्टर कहते हैं. डिफ़ॉल्टर होने का मतलब है आपने तय तारीख पर कर्ज अदायगी नहीं की और यह दिवालिया होने की शुरुआत है. एक देश के पास डिफ़ॉल्टर होने की स्थिति का सामना करने के कई तरीक़े होते हैं. ज्यादातर देश डिफॉल्टर होने की स्थिति आने पर ये घोषणा कर देते हैं कि उनके पास कर्ज चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं. फिलहाल श्रीलंका और पाकिस्तान ने खुद को डिफॉल्टर होने से बचाए रखा है. ऐसी नौबत आने पर चीन और सऊदी अरब आर्थिक मदद कर पाकिस्तान को बचा लेते हैं. बता दें अर्जेंटीना साल 2000 से 2020 के बीच दो बार डिफ़ॉल्टर हो चुका है. 2012 में ग्रीस डिफॉल्टर बना. इसके अलावा 1998 में रशिया, 2003 में उरुग्वे, 2005 में डोमिनिकन रिपब्लिक और 2001 में इक्वेडोर.
जून 1991 में भारत भी एक कठिन मोड़ से गुजरा था. उस वक्त भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका था... विदेशी कर्ज 72 अरब डॉलर पहुंच गया था. उस दौरान गल्फ वॉर, वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें में बढ़ोतरी, पेट्रोलियम आयात बिल का भारत पर काफी असर पड़ा. देश के अपने राजनीतिक मासलों के चलते भी भारत की अर्थव्यवस्था घुटने टेक चुकी थी. उस वक्त IMF ने भारत को 1.27 अरब डॉलर का कर्ज दिया. लेकिन इससे भी हालात नहीं सुधरे. फिर जब जून 1991 में जब पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो ऐसा लग रहा था कि भारत डिफ़ॉल्टर घोषित हो जाएगा. लेकिन उन्होंने वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के जरिए कई सुधारों को अंजाम दिया और भारतीय अर्थव्यवस्था पट्री पर आ गई.
कुछ वैसी ही स्थिति अब श्रीलंका की हो गई है...कोविड महामारी, पर्यटन उद्योग की तबाही, बढ़ते सरकारी खर्च, विदेशी कर्ज और टैक्स में जारी कटौती की वजह से वहां का सरकारी खजाना खाली हो चुका है. एक रिपोर्ट के मुतबाकि श्रीलंका को इस साल 4.5 अरब डॉलर का क़र्ज़ अदा करना है. इसकी शुरुआत 18 जनवरी से होगी. अगर श्रीलंका इसे नहीं चुका पाएगा तो वो डिफॉल्टर हो जाएगा.
आइए अब जानते हैं कि कोई देश दिवालिया कब होता है?
किसी देश को दिवालिया घोषित करने में एक साथ कई आर्थिक ताकतें काम करती हैं. निवेशकों का भरोसा किसी देश के दिवालियेपन की हैसियत को बताता है, जिसमें मूडीज़ जैसी कंपनी की क्रेडिट रेटिंग भी अहम रोल निभाती है. इसी साल मई में फिच रेटिंग्स ने पाकिस्तान को कर्ज देने के जोखिम में 'बी' रेटिंग दी थी. यह रेटिंग देश की वित्तीय ज़िम्मेदारी का इतिहास, उनकी पिछली देनदारियों में चूक और IMF का कर्ज लौटाने की योजनाओं को देखकर दी जाती है.
जब कोई देश अपने देनदार को समय पर कर्ज अदा नहीं कर पाता है तो उसे 'दिवालिया' कह दिया जाता है. दिवालिया होने का मतलब है कि आपकी क्रेडिट रेटिंग लगातार खराब हो रही हो. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का उस देश से भरोसा उठ जाता है और कर्ज देने के लिए कोई तैयार नहीं होता.