पैगम्बर मोहम्मद पर नुपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी ने देश से लेकर विदेशों तक हंगामा मचाया हुआ है। कुवैत, कतर, सऊदी अरब समेत तमाम खाड़ी देशों ने नुपुर शर्मा के बयान पर विरोध जताया है। कई अरब मुल्कों में भारतीय वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर कैंपेन चलाया गया। लेकिन इन सबके बावजूद खाड़ी देश भारत के सामने झोली फैलाकर खड़े हैं। इसकी वजह हम आपको बाद में बताएंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए भारत दुनिया के टॉप 3 गेहूं उत्पादक देशों में से एक है। इन सबके बावजूद केंद्र सरकार ने बीती 13 मई से गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई हुई है। सरकार का मकसद है घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों को स्थिर रखना। अगर गेहूं के दाम बढ़े तो इससे बनने वाले तमाम प्रोडक्ट्स भी महंगे हो जाएंगे। इसलिए मोदी सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है। उधर रूस-यूक्रेन के बीच जंग छिड़ी हुई है। जिसके चलते बीते 3 महीनों से यूक्रेन के बंदरगाहों में लाखों मीट्रिक टन गेहूं फंसा हुआ है। रूस इस गेहूं को इंटरनेशनल मार्केट में बिकने नहीं दे रहा। चूंकि रूस और यूक्रेन गेहूं के बड़े निर्यातक देशों में से एक हैं। इनका गेहूं इंटरनेशनल मार्केट में नहीं पहुंच रहा। जिसके चलते यूरोप समेत दुनिया के कई देशों के सामने खाद्य संकट खड़ा हो गया है। इस खाद्य संकट से उबरने के लिए दुनिया भारत की तरफ देख रही है। भारत सरकार भी अपने रुख में नरमी लाते हुए इंडोनेशिया, बांग्लादेश समेत कुछ देशों को 5 लाख टन गेहूं निर्यात करने की मंजूरी दी है। इसके अलावा भारत सरकार 7 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की तैयारी में है।
हालांकि भारत गेहूं का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है इसके बावजूद ग्लोबल गेहूं एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी काफी कम है। भारत का गेहूं बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के अलावा सऊदी अरब, यमन, ओमान, कुवैत, कतर जैसे खाड़ी देश खरीदते हैं। इंडोनेशिया और मलेशिया भी भारतीय गेहूं के प्रमुख खरीदारों में से एक हैं।
आंकड़ों पर गौर करें तो भारत ने बांग्लादेश को 40।8 लाख टन गेहूं निर्यात किया था। जो भारत के कुल गेहूं निर्यात का 55।9 फीसदी है। इसके बाद श्रीलंका 7।9 फीसदी, सऊदी अरब 6।9 फीसदी, इंडोनेशिया 5।9 फीसदी, यमन और फिलीपींस की हिस्सेदारी 5।3 और 5।1 फीसदी है। रूस अभी भी गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है। जबकि गेहूं निर्यातकों में भारत का आठवां स्थान है। रूस के अलावा यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, अर्जेंटीना और यूक्रेन भारत से ज्यादा गेहूं निर्यात करते हैं।
भारत के गेहूं सस्ता होने की वजह से इसकी इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादा डिमांड है। उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की कीमतें बढ़ने के बावजूद भारत का गेहूं 40 फीसदी सस्ता है। जिसकी वजह से मुस्लिम देश चाहकर भी भारत का खुलकर विरोध नहीं कर सकते।