टोंगा में एक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ है जिसने दुनियाभर में हलचल मचा दी. इसके साथ ही इसने दुनिया के सामने नई कुदरती चुनौतियां भी ला कर खड़ी कर दीं. टोंगा में हुआ धमाका इतना तेज था कि इसकी आवाज अलास्का तक सुनी गई. विस्फोट से उफनते समुद्री तूफान ने जापान और अमेरिकी के तटीय इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए. आज के know this वीडियो में हम जानेंगे कि समय समय पर फट पड़ने वाले ज्वालामुखी असल में कैसे बनते हैं और वो फटते क्यों हैं? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
ज्वालामुखी एक पहाड़ की तरह होता है, जिसके अंदर पिघला लावा भरा होता है. धरती के नीचे दबी उच्च ऊर्जा यानि जियोथर्मल एनर्जी से पत्थर पिघलते हैं. जब जमीन के नीचे से ऊपर की ओर दबाव बढ़ता है तो पहाड़ ऊपर से फट पड़ता है. जिसे ज्वालामुखी फटना कहते हैं.
जमीन पर नजर आने वाले हिस्से को मैग्मा कहते हैं. जैसे ही ये जमीन पर पहुंचता है लावा कहलाता है. ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थों में कई तरह की गैस, नाइट्रोजन और सल्फर कंपोनेंट्स, क्लोरीन, हाइड्रोजन और दूसरे पदार्थ होते हैं. लावा तरल रूप में होता है.
ज्वालामुखी विस्फोट की बात की जाए तो इसके होने की अलग-अलग वजहें हैं ..अगर ज्वालामुखी का लावा किसी तरह से पानी के अंदर पहुंचता है तो ज्वालामुखी विस्फोटक हो जाता है. ज्वालामुखी में विस्फोट का दूसरा कारण मैग्मा का पिघलकर सतह पर आना है. मैग्मा तब बनता है जब पृथ्वी का मेंटल पिघलता है. मेंटल पिघलने की एक वजह टेक्टोनिक प्लेटों का टकराव भी है. ज्वालामुखी से निकलने वाली राख में पत्थर के छोटे छोटे कण होते हैं जिनसे चोट पहुंच सकती है. इसके अलावा बच्चों और बुजुर्गों के फेफड़ों को इनसे खासा नुकसान पहुंच सकता है.
ज्वालामुखी तीन तरह के होते हैं. पहला- खोखली पहाड़ी जैसा, जिससे लावा निकलता है. दूसरा- ऊंचे पर्वत जैसा, जिसकी कई सुरंगों से लावा बहता है. तीसरी किस्म समतल पहाड़ियों जैसी होती है...वहीं ज्वालामुखी के फटने का नतीजा देखें तो आज पृथ्वी की सतह का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा करोड़ों सालों पहले निकले लावा के जमने से ही बना है. समुद्र तल और कई पहाड़ भी ज्वालामुखी के लावा की ही देन हैं. इससे निकली गैसों से ही वायुमंडल बना है.
फिलहाल दुनिया भर में 500 से ज्यादा एक्टिव ज्वालामुखी हैं. इनमें से आधे से ज्यादा 'रिंग ऑफ फायर' का हिस्सा हैं. ये प्रशांत महासागर के चारों ओर ज्वालामुखियों के हार जैसा है, इसलिए इसे रिंग ऑफ फायर कहते हैं.
वहीं कई देश ऐसे हैं जहां ज्वालामुखियों की पूजा की जाती है. जैसे अमेरिकी प्रांत हवाई में ज्वालामुखियों की देवी पेले की मान्यता है. हवाई में ही दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जिनमें सबसे खतरनाक हैं मौना किया और मौना लोआ.