हाइपरटेंशन को लेकर मेडिकल जर्नल लैंसेट की लेटेस्ट study में कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में प्रचलित 30 सालों में हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है। आज know this के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि इस रिपोर्ट में क्या बातें कही गई है। हाइपरटेंशन क्या है, यह क्यों होता है और इससे पीड़ित लोगों की संख्या में इतनी तेजी से क्यों इजाफा हो रहा है। इन सभी सवालों के जवाब के लिए जुड़े रहिए। हमारे साथ क्या कहती है? रिपोर्ट शोधकर्ताओं की टीम ने 184 देशों में तीन दशकों से 100 मिलियन से ज्यादा लोगों की ब्लड प्रेशर मेजरमेंट का एनालिसिस किया। इन लोगों की उम्र 30 से 79 साल के बीच है। रिसर्च में उन्होंने पाया कि 1990 में हाइपरटेंशन से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगभग 331 मिलियन और पुरुषों की 317 मिलियन थी। 2019 में यह संख्या बढ़कर 626 मिलियन महिलाओं और 652 मिलियन पुरुषों तक पहुंच गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि सरल इलाज और सस्ती दवाओं के बावजूद 2019 में दुनिया भर में हाइपरटेंशन से पीड़ित लगभग आधे लोग अपनी इस कंडीशन से अनजान थे। इसके साथ ही बताया गया कि आधी से ज्यादा लोगों ने जानते हुए भी अपना इलाज नहीं कराया. आइये अब जानते हैं कि हाइपरटेंशन क्या है। हाइपरटेंशन हाई ब्लड प्रेशर का ही दूसरा नाम है। हाइपरटेंशन एक खतरनाक स्थिति है जो दुनियाभर के लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है। ऐसी कंडीशन है जिसमें नसें सिकुड़ जाती है। इसकी वजह से खून के फ्लो पर प्रेशर बढ़ता है। हाई ब्लड प्रेशर कई बार जानलेवा हो सकता है।
यह दिल का दौरा, स्ट्रोक, डिमेंशिया या क्रॉनिक किडनी डिजीज और विज़न लॉस की वजह भी बन सकता है। हालांकि इस को कंट्रोल करने के लिए दवाएं भी उपलब्ध है। लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव कर ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। भयानक सर दर्द रहना, सांस फूलना थकान जी मिचलाना नाक से खून बहना है। लक्षण है क्यों खतरनाक है? हाइपरटेंशन स्टडी में कहा गया है कि हाइपरटेंशन दुनिया में हर साल 8.5 मिलियन से ज्यादा मौतों से जुड़ा हुआ है। पिछली स्टडी से पता चला है कि हाइपरटेंशन को कम करने से स्ट्रोक की संख्या को 35 से 40% हार्ट अटैक को 20 से 25% और हार्ट फेलियर को लगभग 50% तक कम किया जा सकता है। हाइपरटेंशन कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के लिए प्राइमरी रिस्क फैक्टर है। इसे इसके अज्ञात लक्षणों की वजह से साइलेंट किलर के रूप में भी जाना जाता है। किन देशों में बिगड़े हालात? बताया गया है कि ज्यादा इनकम वाले देशों में मामलों में तेजी से गिरावट आई है, लेकिन लो और मीडियम इनकम वाले देशों में इन मामलों में वृद्धि हुई है। स्टडी के मुताबिक कैनेडा और पीरु में 2019 में हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों का रेशियो सबसे कम चार में से एक था। ताईवान दक्षिण कोरिया, जापान और पश्चिमी यूरोप के कुछ देशों में महिलाओं में हाइपरटेंशन की दर सबसे कम थी जबकि इरिट्रिया बांग्लादेश इथोपिया और सोलोमन द्वीप में पुरुषों की दर सबसे कम थी। 1990 के बाद से ज्यादातर देशों में उपचार और कंट्रोल को लेकर सुधार भी हुआ है। इसमें कैनेडा आइसलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे high-income वाली देशों में बड़े सुधार देखे गए हैं। हालांकि sub-saharan अफ्रीका, ओशिनिया नेपाल और इंडोनेशिया में थोड़ा ही बदलाव आया है