कोरोना वायरस की चर्चा के बीच एक नई बीमारी ने दस्तक दे दी है जिसका नाम है, फ्लोरोना. दरअसल दुनिया में पहली बार कोरोना और फ्लू के वायरस का इंसान के शरीर पर एक साथ अटैक करने का मामला सामने आया है. जिसे 'फ्लोरोना' कहा जा रहा है, ये कोरोना और इंफ्लुएंजा का डबल इंफेक्शन है. इस नए इंफेक्शन 'फ्लोरोना' में एक ही मरीज में कोरोना और इंफ्लुएंजा दोनों के वायरस पाए गए हैं..
तो आज के KNOW THIS VIDEO में हम आपको बताएंगे कि फ्लोरोना क्या है? फ्लू और कोरोना का डबल इंफेक्शन क्यों खतरनाक है? साथ ही आपको बताएंगे कि फ्लोरोना का पहला केस कहां मिला है बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
सबसे पहले जानते हैं कि
फ्लोरोना क्या है?
एक्सपर्ट का ऐसा मानना है कि फ्लोरोना कोरोना और इंफ्लूएंजा का दोहरा संक्रमण है. सीधे शब्दों में कहें तो ये एक ही मरीज में कोरोना और फ्लू यानी जुकाम के डबल इंफेक्शन का मामला है. साथ ही डबल वायरस की वजह से ये ज्यादा खतरनाक हो जाता है. वहीं कोविड-19 महामारी के आने के 2 साल बाद ऐसा संक्रमण मिला है..
कहां मिला दुनिया का पहला फ्लोरोना केस?
दुनिया का पहला फ्लोरोना केस हाल ही में इजराइल में सामने आया है. इसकी जानकारी अरब न्यूज ने दी है. फ्लोरोना का पहला केस एक प्रग्नेंट महिला में मिला है, जो राबिन मेडिकल सेंटर में एक बच्चे को जन्म देने के लिए एडमिट हुई थी.
क्यों खतरनाक हो सकता है फ्लोरोना?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना और फ्लू दोनों के डबल अटैक से गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि ये तेजी से फैल सकता है. और इससे कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. यही कारण है कि फ्लोरोना होना खतरनाक हो सकता है.
डॉक्टरों के अनुसार, फ्लोरोना से संक्रमित मरीज में निमोनिया, मायोकार्डटिस जैसी बीमारी के लक्षण दिखते हैं. डॉक्टर बताते हैं कि इसके मरीज को दिल की मांसपेशियों में दर्द या जलन जैसी समस्या भी होने लगती है. इस संक्रमण को लेकर अगर जरा सी भी लापरवाही की जाए तो यह जानलेवा हो सकता है. यही वजह है कि इजराइल सरकार ने इसे लेकर खास अलर्ट जारी किया है और लोगों को सावधानी बरतने के लिए कहा गया है.
कैसे फैलता है फ्लोरोना?
कोरोना और फ्लू के करीबी संपर्क यानी कि छह फीट या दो मीटर के अंदर में आने वाले लोगों में ये फैलता है, ये दोनों वायरस बात करने, छींकने या खांसने से निकलने वाली सांस की बूंदों या एरोसॉल से फैलते हैं. ये ड्रॉपलेट्स सांस लेने पर मुंह या नाक के जरिए शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं. इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति इन दोनों में से किसी वायरस वाली सतह को छूता है और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूता है, तो वो फ्लोरोना से संक्रमित हो सकता है.
फ्लोरोना के आम लक्षण और जांच?
इसके लक्षण और जांच की बात करें तो एक ओर जहां फ्लू के लक्षण आमतौर पर तीन से चार दिन में सामने आते हैं, तो वहीं कोरोना का लक्षण दिखने में दो से 14 दिन तक का समय लगता है. फ्लू और कोरोना दोनों के आम लक्षण लगभग एक समान होते हैं, जैसे दोनों में ही खांसी, सर्दी, बुखार और नाक बहने जैसे लक्षण होते हैं. वहीं फ्लोरोना के गंभीर लक्षणों की बात की जाए तो न्यूमोनिया, सांस लेने में ज्यादा दिक्कत, हार्ट की मांसपेशी में सूजन, स्ट्रोक, हार्ट अटैक का खतरा आदि शामिल है. इसके साथ ही फ्लू की जांच के लिए RT-PCR टेस्ट किया जाता है, जहां वायरस के RNA का टेस्ट होता है.. फ्लू और कोरोना की जांच के लिए अलग-अलग PCR टेस्ट किए जाते हैं..फ्लू और कोरोना वायरस के जीनोटाइप्स अलग होते हैं। इन दोनों में अंतर केवल लैब टेस्ट के जरिए ही किया जा सकता है.
कैसे करें फ्लोरोना से बचाव?
WHO के अनुसार, फ्लोरोना के सीरियस खतरे से बचने का सबसे प्रभावशाली तरीका इंफ्लुएंजा वैक्सीन और कोविड-19 दोनों की वैक्सीन लगवाना है साथ ही इसकी रोकथाम के उपायों का पालन करने की भी सलाह who देता है. इन उपायों में लोगों से कम से कम एक मीटर दूरी बनाए रखना. अगर दूरी बनाना संभव न हो तो अच्छी तरह फिट होने वाले मास्क का प्रयोग करना, भीड़-भाड़ वाली और खराब वेटिलेंशन वाली जगहों से बचना, हवादार कमरे में रहना और अपने हाथों को लगातार धोते रहना, आदि शामिल हैं..