रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को लंबा वक़्त हो गया है, इस युद्ध में दोनों देशों को ही गंभीर क्षति पहुंची है, बात आर्थिक नुकसान की हो या फिर जनहानि की.. इस जंग में हर लिहाज से नुकसान ही हो रहा है. इन सबके बीच दुनियाभर के ज्यादातर देश रूस के विरोध में खड़े हैं, वहीं भारत तटस्थ होकर भी उसका झुकाव रूस की तरफ दिखता है। भारत ने रूस की आलोचना तक नहीं की है। साथ ही उसने रूस से किफायती दर पर क्रूड ऑयल खरीदने का करार भी कर लिया। जिससे अमेरिका को झटका लगा है.. ऐसे में भारत की इस जंग को लेकर तटस्थ स्थिति और रूस की हरकतें नजरअंदाज करने को लेकर एक्सपर्ट्स की कई राय हैं. भारत अमेरिका पर रूस को तरजीह दे रहा है.
तो आज के KNOW THIS वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर भारत के लिए रूस इतनी अहमियत क्यों रखता है और इसका भविष्य क्या है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
दरअसल भारत की भौगोलिक और सामरिक स्थिति में उसके लिए रूस से नजदीकी बनाए रखना हित में है. दूसरी वजह ये कि भारत रूस का बड़ा हथियार खरीदार है. तीसरी वजह ये कि अमेरिका के साथ भारत की घनिष्ठता रूस जैसी नहीं हो सकी है. एनर्जी क्षेत्र में भारत और रूस पहले से ही बड़े सहयोगी हैं.
भारत अमेरिका और रूस दोनों के करीब है. अमेरिका चाहता है कि भारत उसका समर्थन करे लेकिन भारत की रणनीतिक साझेदारी रूस के साथ बहुत ज्यादा है. रक्षा हथियारों को लेकर रूस पर भारत की निर्भरता बनी हुई है. इधर, चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भी भारत के लिए रूस का समर्थन जरूरी है. ऐसे में भारत के लिए किसी एक का पक्ष लेना बेहद मुश्किल होगा. भारत ने अभी तक इस मसले पर निष्पक्ष रूख अपनाया है.
रक्षा से जुड़ा ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां भारत और रूस के बीच मजबूत संबंध ना हों. हालांकि, हाल के सालों में भारत ने फ्रांस से रफाल लड़ाकू विमान खरीदे हैं. बावजूद इसके भारतीय वायुसेना में अधिकतर विमान रूस के ही हैं. रूस भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी करता है और भारत अपने रक्षा उपकरणों की मरम्मत के लिए भी रूस पर निर्भर है..
वहीँ भारत की सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता ये है कि उसकी उत्तरी सीमा से सटा चीन लगातार ताकतवर हो रहा है. ऐसे में भारत के सामने सवाल ये भी है कि अगर चीन के साथ तनाव बढ़ा तो क्या अमेरिका उसकी मदद के लिए आगे आएगा?
भारत का अमेरिका के साथ कोई सुरक्षा समझौता भी नहीं है,, भारत हाल ही में चीन के खिलाफ बने गठबंधन क्वाड का सदस्य है, लेकिन क्वाड कोई सैन्य गठबंधन नहीं हैं और न ही इसके सदस्यों के बीच कोई सैन्य समझौता है। यहां ये समझना भी जरूरी है कि भारत दूसरे क्वाड सदस्य देशों जैसा नहीं है.यहां तथ्य ये है कि क्वाड देशों में जापान ऐसा है जिसके अमेरिका के साथ मजबूत सुरक्षा समझौते हैं.. बता दें कि भारत क्वाड का एकमात्र ऐसा सदस्य देश है जिसका अमेरिका के साथ कोई भी समझौता नहीं है. ऐसे में जब अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा की बात आती है तो भारत अकेला ही खड़ा होता है. इसी वजह से भारत रूस की आलोचना करने का स्पष्ट स्टैंड नहीं ले पाता है. भारत के लिए अपने राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं.
यूक्रेन युद्ध को एक महीना हो चुका है और रूस अभी यूक्रेन को झुका नहीं सका है. भारी बर्बादी और एक करोड़ से अधिक लोगों के बेघर होने के बावजूद यूक्रेन युद्ध के मैदान में डटा है. वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी रूस अलग-थलग पड़ गया है और रूस के लिए हालात मुश्किल हो रहे हैं. यदि इस युद्ध में रूस कमजोर होता है तो फिर भारत को अपना आगे का रास्ता तय करने के लिए कई मुश्किल निर्णय लेने पड़ सकते हैं.