अक्सर भारतीय छात्र हायर एजुकेशन लिए विदेशों का रुख करते हैं. पश्चिमी देशों से लेकर पाकिस्तान और चीन से डिग्रियां हासिल करने जाते हैं. लेकिन अब ये आसान नहीं रह गया है. भारत ने पाकिस्तान से मिलने वाली डिग्रियों की मान्यता रद्द कर दी है. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन यानी यूजीसी और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी AICTE ने अपनी एडवायजरी में भारतीय छात्रों को हायर एजुकेशन के लिए पाकिस्तान न जाने की सलाह दी है. इसके पहले पिछले महीने सरकार ने चीन से हायर एजुकेशन हासिल करने वालों को सावधान किया था. तो आज के नो दिस में हम आपको बताएंगे कि आखिर पाकिस्तान और चीन जाकर पढ़ाई न करने की सलाह क्यों दी जा रही है. इसका कश्मीर से क्या कनेक्शन है.
यूजीसी और AICTE ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि पाकिस्तान से हासिल कोई भी डिग्री मान्य नहीं होगी. उस डिग्री के आधार पर न किसी नौकरी का आवेदन किया जा सकेगा और ना ही उसके आधार पर आगे की पढ़ाई की जा सकेगी. भारत ने पाकिस्तान की डिग्रियों को बैन कर दिया है.
सवाल है कि क्या ऐसा सिर्फ पाकिस्तान के दुश्मन देश होने की वजह से किया गया है. दरअसल पिछले कुछ महीनों से बाहर जाकर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के सामने मुश्किलें आ रही हैं. पहले कोरोना की वजह से विदेशों में पढ़ाई कर रहे छात्रों की पढ़ाई बाधित हुई. चीन में पढ़ाई करने वाले छात्र अभी तक बीच में लटके हैं. इसके बाद रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से मेडिकल की पढ़ाई करने यूक्रेन गए भारतीय छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इन्हीं सब वजहों से सरकार को ये फैसला लेना पड़ा है.
लेकिन सरकार ने पाकिस्तान को लेकर ये फैसला क्यों किया. दरअसल पाकिस्तान में कश्मीर के छात्र जाकर पढ़ाई करते हैं. पाकिस्तान जाकर डिग्रियां लेने वाले कश्मीरी छात्रों पर अब इस फैसले का असर होगा. एक मोटे अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में करीब 200 से 1 हजार तक कश्मीर के छात्र पढ़ाई करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक कश्मीर के ज्यादातर छात्र पाकिस्तान में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढाई करने जाते हैं.
2020 में इसी तरह की चेतावनी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने दी थी. MCI ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के छात्रों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई को लेकर सावधान किया था. MCI ने अपनी एडवायजरी में कहा था कि वैसे तो जम्मू कश्मीर का पूरा क्षेत्र भारत का हिस्सा है लेकिन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चल रहे मेडिकल कॉलेज इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है. इसलिए वहां से हासिल डिग्रियों की कोई मान्यता नहीं होगी.
पाकिस्तान अपने यहां पढ़ाई के नाम पर अपना एजेंडा फैलाते हैं. 2020 में पाकिस्तान ने अपने यहां कॉलेजों में कश्मीरी छात्रों के लिए 1600 रुपए की स्कॉलरशिप ऑफर की थी. उस वक्त सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान में भारतीय छात्रों को कट्टरपंथी बनाए जाने की आशंका जताई थी. पीओके के कॉलेजों में कश्मीरी छात्रों को 6 फीसदी आऱक्षण दिया जाता है. पाकिस्तानी कॉलेजों में उनके लिए कुछ सीटें रिजर्व्ड रखी जाती हैं. लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि पाकिस्तान जाकर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के दिमाग में कट्टरपंथी विचारधारा डाली जाती है.
इसको लेकर कुछ रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं. जम्मू कश्मीर पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान में एडमिशन के नाम पर अलगाववादियों द्वारा चलाए जा रहे एक रैकेट का खुलासा किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों की सीटें कश्मीरी छात्रों को बेचकर उससे मिले पैसों से घाटी में अशांति फैलाने के लिए आतंकियों को दिए गए. पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया.
हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं. लेकिन विदेश में हर संस्थान अच्छा नहीं होता. खासकर पाकिस्तान और चीन के शिक्षण संस्थान. इसके अलावा विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की पढ़ाई कभी भी अधर में लटक जाती है. जैसा यूक्रेन गए के छात्रों के साथ हुआ।
पाकिस्तान की डिग्रियों को लेकर सरकार को ऐसा फैसला इसलिए भी लेना पड़ा है क्योंकि दोंनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण है. पाकिस्तान में इमरान की सरकार गिरने के बाद वहां अस्थिर राजनीतिक हालात हैं और आर्थिक हालात भी खस्ताहाल हैं.