डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने इसे लेकर मार्च 2020 में एक research की थी. इस रिसर्च में पता चला कि इंस्टाग्राम टीनेजर्स और उसमें भी खासकर लड़कियों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. रिपोर्ट की मानें तो इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स पर करोड़ों यूजर्स फिटनेस इन्फ्लूएंसर्स से इन्फलूएंस होकर खुद की बॉडी को बिल्कुल वैसा ही दिखाने की इच्छा रखते हैं जैसी कि फिटनेस इन्फ्लूएंसर्स की है. वो वैसा ही खाना पीना, वैसे ही घूमना, वैसा ही लाइफस्टाइल जीना चाहते हैं जैसा उनके आइडियल- डिजीटल इन्फ्लूएंसर्स जीते हैं, और बस यही उनके शर्मिंदगी और तनाव बढ़ने की वजह बन जाता है. क्योंकि उनका लाइफस्टाइल हू-ब-हू अपने आइडियल जैसा नहीं बन पाता. इसी वजह से लड़कियों के बीच खाने-पीने के मामले में भी बहुत सारी ऐसी हेबिट्स देखी गईं जो उनकी सेहत के लिए एकदम अनहेल्दी है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन का हिस्सा रह चुके कुल यूजर्स में से 13 प्रतिशत ब्रिटिश और 6 प्रतिशत अमेरिकी यूजर्स ने इस्टाग्राम के कॉन्टेंट को आत्महत्या के लिए उकसाने वाला बताया. इसके अलावा ज्यादातर इंस्टाग्राम टीन गर्लस् यूजर्स ने इंस्टा की पोस्ट और कॉन्टेंट को देखकर खुद को Unattractive और Insecure फील किया.
पैरेंट कंपनी फेसबुक ने इंस्टाग्राम पर एक्टिव टीनेजर लड़कियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अपनी इंटरनल रिसर्च पर एक रिपोर्ट को साझा किया है. इंस्टाग्राम पर छपी Wall Street Journal की रिपोर्ट के जवाब में फेसबुक ने कई बातें सामने रखीं. इसमें कहा गया कि इंस्टाग्राम से यूजर्स को कई चीजें सीखने को मिली है. फेसबुक ने दावा किया है कि इंस्टाग्राम से टीनेजर्स की लाइफ और बेहतर हुई है. फेसबुक की वाइस प्रेसिडेंट और head of research प्रतिति रायचौधरी ने कहा कि द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने जो रिसर्च की है वो दरअसल 'सटीक नहीं है'. उन्होंने उन सभी दावों का खंडन किया जिनमें इंस्टाग्राम को टीनेजर्स के लिए टॉक्सिक बताया गया.