किसी भी देश के लोगों की जिंदगी को वहां की खुशहाली से आंकते हैं. किसी भी देश की स्थिति क्या है ये बहुत हद तक इससे तय होता है कि वहां के लोगों की जिंदगी में किस हद तक खुशहाली है. आप सोच रहे होंगे कि हम आपको ये सब क्यों बता रहे हैं तो आपको बता दें कि वो इसलिए क्योंकि भारत के पीएम मोदी इस समय ३ दिन के दौरे पर हैं जहां वो डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन पहुंचे हुए थे. PM मोदी के डेनमार्क का ये दौरा कई मायनों में खास है. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि डेनमार्क कहां है और इसकी खासियत क्या है? इस देश के लोगों के खुशहाल रहने की क्या वजह है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
वहीं डेनमार्क की गिनती उन देशों में होती हैं जहां पढ़ाई को लेकर लोग जागरूक हैं। इस देश के लोग काफी उम्रदराज होने के बाद भी पढ़ाई करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, डेनमार्क सरकार हर साल बच्चों की शिक्षा पर औसतन 8.5 लाख रुपए खर्च करती है। यहां के ज्यादातर लोगों को तैरना पसंद है। इसकी बड़ी वजह यह है कि डेनमार्क सरकार लोगों को फिजिकल तौर पर फिट रखने के लिए स्विमिंग प्रैक्टिस को बढ़ावा देती है। add डेनमार्क में लोगों की ज्यादातर समस्याओं का निवारण सरकार करती है. डेनमार्क में लोगों को मुफ्त में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं. वहां के पेंशन सिस्टम को दुनिया के सबसे अच्छे पेंशन सिस्टम में से एक माना जाता है. और हालांकि इस देश का टैक्स रेट दुनिया के सबसे ज्यादा टैक्स रेट वाले देशों में से एक है लेकिन यहां के लोग विश्वास करते हैं कि ज्यादा टैक्स देश को एक बेहतर समाज बना सकते हैं. इसलिए वे ज्यादा टैक्स भी खुशी-खुशी चुकाते हैं. डेनमार्क में साल 2018 में बेरोजगारी दर 0.30% थी, जो 2019 में 0.1% बढ़ गई। डेनमार्क दुनिया के सबसे कम गरीब देशों में से एक है। डेनमार्क सरकार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उनके देश के लगभग सभी लोगों के पास रहने के लिए घर है। इसका कारण यह है कि इस देश की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय अन्य देशों से मजबूत है।
बता दें की डेनमार्क एक ऐसा देश है जिसमें हर उम्र के लोग खुश रहते हैं। डेनमार्क में लोगों की औसत आयु 75 से ऊपर है। इस देश में लोग अच्छा और लंबा जीवन जीते हैं। इसकी वजह ये है कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क है। यहां की हेल्थ पॉलिसी भी बेहतर है।
वर्ल्ड एटलस वेबसाइट के मुताबिक, यहां बच्चों के नाम रखने को लेकर भी एक कानून बना हुआ है। इस मामले में ये टॉप 5 देशों में आता है। इसके लिए यहां पहले से सरकार ने कुछ नाम तय कर रखे हैं। इन नामों में से ही माता-पिता अपने बच्चे का नाम रख सकते हैं। अगर माता-पिता इन नामों के अलावा कोई और नाम रखना चाहते हों, तो इसके लिए उन्हें पहले वहां के चर्च से परमिशन लेनी पड़ती है।
सरकारी अधिकारी उस नाम की जांच करते हैं और उसे अप्रूव करते हैं। इसके बाद ही माता-पिता अपने बच्चे का नाम रख सकते हैं। यहां के पुरुषों में सबसे ज्यादा कॉमन नाम ‘पीटर’ है और महिलाओं में ‘एनी’ नाम कॉमन है। add ऐसे में डेनमार्क के लोगों के पास चिंता करने के लिए बहुत थोड़ी चीजें हैं और उनके लिए खुश रहना बहुत आसान काम है.