चीन अपने खतरनाक मंसूबों के लिए जाना जाता है चीन की विस्तारवादी नीति से तो दुनिया वाकिफ है.. इधर जापान चीन को सबक सिखाने के लिए बड़ा कदम उठाने वाला है.. दरअसल जापान सरकार भारत-ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ यूरोपीय और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों सहित 12 देशों को फाइटर जेट, मिसाइल समेत अन्य हथियारों को निर्यात करने की योजना बना रहा है.. बता दें कि भारत एक लिहाज से ये जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी पीएम फुमियो किशिदा के क्वाड लीडर्स समिट के दौरान एक बैठक के बाद आयी है.. ये जापान का ऐसा कदम होने जा रहा है जो नई दिल्ली और टोक्यो द्वारा रक्षा निर्माण में सहयोग करने के प्रयासों को और बढ़ावा देगा। तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि 'ड्रैगन' की गर्दन दबाने की तैयारी में कैसे जुटा है जापान और वो भारत समेत 12 देशों को फाइटर जेट क्यों दे रहा है बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ
जैसा हमने आपको बताया कि जापान सरकार भारत-ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ यूरोपीय और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों सहित 12 देशों को फाइटर जेट, मिसाइल समेत दूसरे हथियारों को निर्यात करने की योजना बना रहा है. वहीं अगले मार्च तक निर्यात से जुड़े रेगुलेटरी में बदलाव हो सकते हैं। सरकार उन देशों के जरिए चीन के खिलाफ प्रतिरोध बढ़ाना चाहती है, जिन्होंने जापान के साथ व्यक्तिगत सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इन देशों में वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, फ्रांस और इटली शामिल हैं। 2014 में जापान ने रक्षा उपकरणों के हस्तांतरण से जुड़ा एक सिद्धांत बनाया और आयात के नियमों में ढील दी। लेकिन अभी घातक हथियारों पर निर्यात प्रतिबंध हैं.
अब आपको बताते हैं कि जापान अपने सिद्धांतों में क्या बदलाव करेगा?
सिद्धांत के मुताबिक जो देश जापान के साथ मिलकर हथियार नहीं विकसित करते उन्हें बचाव, परिवहन, चेतावनी, निगरानी और माइनस्वीपिंग मिशन के सीमित उपकरण ही निर्यात किए जाएंगे। हालांकि आर्थिक और fiscal management और सुधार पर सरकार की नीति को ढील में शामिल किया जाएगा। जून तक इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। इस साल के अंत तक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तैयार होने पर सिद्धांतों को Revised किया जाएगा।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के मंगलवार को टोक्यो में क्वाड लीडर्स समिट के दौरान एक बैठक के बाद आया ये पूरा घटनाक्रम हुआ है जिसमें दोनों नेताओं ने रक्षा निर्माण सहित द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
वहीं भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिनके साथ जापान ने अपने रक्षा बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के reciprocal provision के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि निकट सैन्य सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा में योगदान दिया जा सके..