दुनिया में वैसे तो सिनेमा के क्षेत्र में सैकड़ों पुरस्कार दिये जाते हैं. लेकिन ऑस्कर को मनोरंजन के क्षेत्र में दिया जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है. सिनेमा जगत का सबसे बड़ा अवार्ड ऑस्कर दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखता है. सिनेमा से जुड़े लगभग सभी कलाकार इस अवार्ड को जीतने की चाहते रखते हैं.इसे अकादमी पुरस्कारों के नाम से भी जानते हैं. कैलिफोर्निया स्थित लॉस एंजेलिस के डॉल्बी थिएटर में में ऑस्कर पुरस्कार का आयोजन किया गया है जहां दुनिया की सबसे बेहतरीन फिल्मों को कई अवॉर्ड्स से नवाजा गया है साथ ही फिल्म King Richard के लिए विल स्मिथ को बेस्ट एक्टर इन लीडिंग रोल कैटेगरी से सम्मानित किया गया. तो आज के know this वीडियो में हम आपको ऑस्कर अवॉर्ड्स से जुड़ी हर जानकारी देंगे बताएंगे कि ऑस्कर अवॉर्ड्स की जो ट्रॉफी मिलती है, उसमें किसकी मूर्ति होती है और इस खास ट्रॉफी की क्या कहानी है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
ऑस्कर अवॉर्ड्स की शुरुआत साल 1929 में हुई थी. सन 1927 में एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज की मीटिंग में पहली बार ट्रॉफी के डिजाइन पर चर्चा की गई. इस दौरान लॉस एंजिल्स के कई कलाकारों से अपने-अपने डिजाइन सामने रखने को कहा गया. इस दौरान मूर्तिकार जॉर्ज स्टैनली की बनाई हुई मूर्ति को पसंद किया गया. रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑस्कर अवॉर्ड में जो ट्रॉफी दी जाती है कहते हैं कि उसकी प्रेरणा मैक्सिकन फिल्ममेकर और एक्टर एमिलियो फर्नांडीज थे. ऐसे में माना जाता है कि इस मूर्ति के पीछे फर्नांडीज है और ये उनकी ही तस्वीर है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्कर अवॉर्ड की ट्रॉफी को बनाने में करोड़ों रुपये का खर्च होता है. 13.5 इंच लंबी और 3.8 किलो वजन वाली यह ट्रॉफी मूल रूप से तांबे की होती है. इस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई जाती है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि एक ऑस्कर ट्रॉफी को बनाने में लगभग 400 डॉलर का खर्च होता है.
क्या है मूर्ति बनने की कहानी कुछ ऐसी है कि साल 1904 को मैक्सिको के कोआहुइलिया में जन्में एमिलियो मैक्सिको की क्रांति के दौर में बड़े हुए. हाई स्कूल ड्रॉप आउट फर्नांडीज, ह्यूरितिस्ता विद्रोहियों के ऑफिसर बन गए. उन्हें सजा भी सुनाई गई, लेकिन वो वहां से भाग गए. इसके बाद फर्नांडीज, हॉलीवुड में एक्स्ट्रा वर्क करने लगे. यहां पर उन्हें साइलेंट फिल्म स्टार डोलोरेस डेल रियो ने एल इंडियो नाम दिया था.
वो एक्ट्रेस रियो के अच्छे दोस्त बन गए थे. रियो मेट्रो गोल्डविन मेयर स्टूडियो के आर्ट डायरेक्टर और एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज के सदस्य कैड्रिक गिबॉन्स की पत्नी थीं. डेल रियो ने फर्नांडीज को गिबॉन्स से मिलवाया जो उस समय स्टैच्यू की डिजाइन पर काम कर रहे थे. गिबॉन्स ने फर्नांडीज से एक स्केच के लिए पोज देने के लिए कहा जो 8.5 पौंड के वजन वाली ट्रॉफी का आधार था. फर्नांडीज ने बेमन ने पोज दिया और वो आइकॉनिक पोज हो गया. जॉर्ज स्टैनली इसे तैयार किया और लॉस एंजिल्स में सन् 1929 में हुए पहले ऑस्कर समारोह में यही ट्रॉफी सौंपी गई. इसलिए इस ऑस्कर की ट्रॉफी के पीछे फर्नांडीस को माना जाता है.
वहीं हमें लगता है कि करोड़ों रुपये में बनने वाली इस ट्रॉफी से विनर भी करोड़पति हो जाता होगा लेकिन आपको बता दें ऐसा बिलकुल नहीं है. दरअसल ऑस्कर अपने नियम हैं जिनके अनुसार, ऑस्कर जीतने वाले व्यक्ति का इस ट्रॉफी पर पूरा मालिकाना हक नहीं होता है. दरअसल ऑस्कर ट्रॉफी जीतने वाला व्यक्ति इस ट्रॉफी को कहीं नहीं बेच सकता. ऑस्कर नियमों के अनुसार उसे अगर अपनी ट्रॉफी नीलाम करनी है तो सबसे पहले अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस को ही यह ट्रॉफी देनी होगी. अकेडमी उससे यह ट्रॉफी सिर्फ एक डॉलर देकर ही खरीदेगी ये भी नियम है.
बता दें कि अभी तक किसी भी भारतीय फिल्म ने ऑस्कर नहीं जीता है. आखिरी बार 2001 में आई आशुतोष गोवारिकर की आमिर खान-स्टारर लगान ने सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर श्रेणी में अंतिम पांच में जगह बनाई थी. इसके अलावा टॉप फाइवमें जगह बनाने वाली दूसरी दो भारतीय फिल्मों में मदर इंडिया (1958) और सलाम बॉम्बे (1989) शामिल हैं