इन दिनों दुनियाभर के प्रमुख अरबपति उद्योगपतियों के बीच एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है. मुद्दा है एंटी एजिंग का. अखबार से लेकर टीवी चैनलों तक, हर दिन आप भी एंटी एजिंग के विज्ञापन देखते होंगे. ब्यूटी प्रॉडक्ट्स और दवाओं के विज्ञापनों में भी ये टर्म अक्सर यूज होता है जहां बताया जाता है कि किस तरह इन प्रॉडक्ट्स से आप अपनी बढ़ती उम्र को मात दे सकते हैं. तो आज नो दिस के इस वीडियो में हम जानेंगे कि एंटी एजिंग को लेकर क्या बहस छिड़ी है. बड़े उद्योगपतियों के बीच इसको लेकर क्या चर्चा चल रही है. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि आखिर एंटी एजिंग होता क्या है. ये समझने के लिए पहले जानते हैं कि एजिंग क्या होता है. बुढ़ापा आने को एजिंग कहा जाता है. बुढ़ापा आना एक सामान्य प्रक्रिया है. हालांकि अलग-अलग व्यक्तियों में बुढ़ापा आने की उम्र अलग-अलग हो सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक ये सिर्फ एक शारीरिक समस्या नहीं है. एजिंग mental और intellectual process को भी प्रभावित करती है. बुढ़ापा वो फेज है जब शरीर के अंगों के काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और इस प्रक्रिया को रोकना ही एंटी एजिंग है.
एंटी एजिंग का सीधा मतलब उम्र को मात देने से है. इसका मतलब लंबी जिंदगी जीने से है. यानि जिस उम्र में औसतन लोगों की मौत हो जाती है, उससे कहीं ज्यादा उम्र तक स्वस्थ जीवन जिया जाए. इसके लिए तमाम तरह के शोध हो रहे हैं. मेडिकल प्रॉडक्ट्स बनाए जा रहे हैं और अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं.
बता दें पिछले एक दशक में मार्क जुकरबर्ग, जेफ बेजोस, पीटर थिएल जैसे उद्योगपतियों ने एंटी एजिंग सेक्टर में खूब खर्च और निवेश किया है. इन अरबपतियों ने एंटी एजिंग प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों और एंटी एंजिग को लेकर हो रहे शोधों में जमकर खर्च किया है. सितंबर 2021 में MIT की एक रिपोर्ट में बताया गया कि जेफ बेजोस ने एंटी-एजिंग स्टार्ट-अप अल्टोस लैब्स में गुपचुप तरीके से निवेश किया है.
वहीं दूसरी ओर टेस्ला व स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क इसका विरोध करते हैं. मस्क उन लोगों में हैं, जो ये मानते हैं कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए. मस्क का मानना है कि वो लंबे समय तक स्वस्थ रहना चाहते है, लेकिन उन्हें मरने का खौफ नहीं है. मस्क, मौत को राहत के रूप में देखते है. मस्क मानते हैं कि अगर लोग मरेंगे नहीं तो हम पुरानी सोच में फंसे रह जाएंगे और आगे नहीं बढ़ पाएंगे. साइंस और टेक्नॉलोजी के इस दौर में कुछ भी मुमकिन है. माना जा रहा है कि वो दिन भी दूर नहीं जब हम उम्र को मात देकर लंबी जिंदगी जी पाएंगे. देखना होगा ये कैसे और कब होता है.