चीन का दावा है कि इस कानून को अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है. नए कानून में चीन की सीमा के आसपास किसी तरह की गतिविधि, सीमा विवाद, जल विवाद, तस्करी और घुसपैठ जैसे कई मुद्दों में शामिल है. बताया जा रहा है कि ये पहला मौका है जब चीन ने सीमा सुरक्षा को लेकर कोई क़ानून पारित किया है. कानून मार्च 2021 में पेश किया गया और 23 अक्टूबर को इसे नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी मिल गई. 1 जनवरी 2022 को इसे लागू कर दिया जायेगा.
शी जिनपिंग सरकार का कहना है कि लैंड बॉर्डर लॉ से देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखने में मदद मिलेगी. लेकिन विस्तारवादी चीन के काले इतिहास को देखते हुए उसके पड़ोसी देशों का चौकस होना लाजिमी है. अरुणाचल प्रदेश से लेकर सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख तक सीमावर्ती इलाकों में बार-बार चीन की दखलअंदाजी को देखते हुए भारत भी पूरी तरह सतर्क है. क्योंकि इससे पहले चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपनी हरकतों को कानूनी जामा पहनाने के लिए कोस्टगार्ड कानून बनाया था. आशंका है कि नए कानून के सहारे वो भारत और भूटान के सीमावर्ती इलाकों में अपनी सेना की गतिविधियों को कानूनी कवच देने की फिराक में है.