रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. रूस की ओर से लगातार हमला जारी है तो यूक्रेन भी पीछे नहीं है और उसने रूस को भारी नुकसान पहुंचाया है. यूक्रेन के कई शहर में हर ओर तबाही ही तबाही नजर आ रही है. खबर है कि रूस अब राजधानी कीव, खारकीव और मयकोलाईव पर बड़े हमले की तैयारी कर रहा है. दुनियाभर के कई देश रूस की आलोचना कर रहे हैं. हाल ही में राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने लगातार हो रहे रूसी हमलों की तुलना आतंक से की और इसे ‘युद्ध अपराध’ बताया है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या युद्ध के भी कोई नियम होते हैं. कहा तो यह भी जाता है कि जंग में सबकुछ जायज है, लेकिन ऐसा नहीं है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जेनेवा कन्वेंशन में युद्ध को लेकर नियम बनाए गए थे. आज नो दिस के इस वीडियो में आपको हम युद्ध के नियम कायदों के बारे में सब कुछ बताएंगे. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
जेनेवा कन्वेंशन में युद्ध के लिए बनाए गए 161 नियमों में तय किया गया कि जंग कैसे लड़ी जाएगी, युद्ध में किन लोगों पर हमला किया जा सकता है और किनपर नहीं? युद्ध में कैसे हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा, किन चीजों को टारगेट किया जाएगा… इन नियमों को इंटरनेशनल ह्यूमैनेटिरियन लॉ या लॉ ऑफ वॉर कहा जाता है.
लॉ ऑफ वार के मुताबिक जंग के दौरान आम नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जाएगा. आम नागरिकों के अलावा युद्ध में स्वास्थ्यकर्मियों और पत्रकारों को भी निशाना नहीं बनाया जा सकता. नियम ये भी हैं कि रिहायशी इलाकों, इमारतों, स्कूल, कॉलेज और आम घरों को निशाना नहीं बनाया जा सकता. अस्पतालों और मेडिकल यूनिट पर भी हमला नहीं किया जा सकता. युद्ध के दौरान ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों पर भी हमला नहीं किया जा सकता. वहीं, आम नागरिकों के लिए बनाए गए शेल्टर पर भी कोई देश हमला नहीं कर सकते.
किसी भी देश की ओर से हमला करने से पहले चेतावनी जारी करना जरूरी है. बिना चेतावनी दिए कोई भी देश किसी दूसरे देश के खिलाफ युद्ध नहीं शुरू नहीं कर सकता. युद्ध प्रभावित इलाकों से आम नागरिकों को निकालने की जिम्मेदारी भी देश पर ही होती है. आम नागरिकों को निकलने से नहीं रोका जा सकता.
युद्ध के दौरान सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है. युद्ध के दौरान अगर दुश्मन देश की सेना आत्मसमर्पण कर रही हो तो उसके साथ मानवीय व्यवहार बरता जाएगा. उसका सम्मान करते हुए उसकी मदद की जाएगी. युद्धबंदी बनाए गए सैनिकों के साथ भी मानवीय व्यवहार करना जरूरी है.
लॉ ऑफ वॉर के नियम तभी लागू होते हैं जब जब दो या दो से ज्यादा देशों के बीच युद्ध हो रहे हों और उनमें हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा हो. अगर कोई देश युद्ध के दौरान नियमों का उल्लंघन करता है तो इसे युद्ध अपराध माना जाएगा. लॉ ऑफ वॉर के चैप्टर 44 के मुताबिक, नियमों का उल्लंघन करनेवाले देश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया जाता है.