रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है. पूरी दुनिया के सामने नई तरह की चुनौती सामने आ गई है. रूस और यूक्रेन एकदूसरे से भिड़े हैं. उधर नाटो के देश रूस को सबक सिखाने की तैयारी कर रहे हैं. रूस यूक्रेन का संकट दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में लेना वाला है. सवाल है कि रूस यूक्रेन का संकट यूएन में क्यों नहीं सुलझ पाया. अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों ने यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में आपात बैठक बुलाई. लेकिन फिर भी मामला सुलझता नहीं दिख रहा है. UNSC में ये मामला इसलिए भी नहीं सुलझ पाएगा क्योंकि रूस के पास भी वीटो पावर है. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि UNSC यानी यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल क्या है? वीटो पावर क्या है और रूस इसके जरिए कैसे बच रहा है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है. इस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंज़ूरी देने की ज़िम्मेदारी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं. इनमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन शामिल हैं. इसके साथ ही हर दो साल के लिए 10 अस्थायी मेंबर्स को भी चुना जाता है.. भारत, ब्राजील, अल्बानिया, गैबॉन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नॉर्वे, UAE अभी UNSC के अस्थायी मेंबर हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर महीने बदलती है और यह अंग्रेजी के अल्फाबेटिकल ऑर्डर में होता है. अभी रूस इसकी अध्यक्षता कर रहा है.
वीटो पावर क्या होता है और इसका इस्तेमाल कब होता है? इसकी बात करें तो वीटो लैटिन भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है 'मैं अनुमति नहीं देता हूं'. संयुक्त राष्ट्र संघ की संयुक्त परिषद के स्थायी सदस्य देशों को मिला हुआ विशेषाधिकार ही वीटो पावर कहलाता है. यूएन सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों यानी अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन को ही वीटो पावर मिला हुआ है. आपको बता दें, स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर इन पांचों में से कोई देश सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है. भारत, जापान और ब्राजील जैसे कई देश भी सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता, यानी वीटो पावर की मांग कर रहे हैं. वहीं वीटो पावर उन देशों को मिलता है जो इसके काबिल हैं. भारत या कोई अन्य देश तभी वीटो पावर पा सकता है जब सुरक्षा परिषद के सारे स्थायी सदस्य इसके पक्ष में मतदान करें और अस्थायी सदस्यों में दो-तिहाई इसका समर्थन करें।।
बता दें रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत ज्यांदातर बड़े शहरों में भीषण हमला शुरू कर दिया है, तो ऐसे में सवाल ये कि अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन UNSC की इस बैठक के जरिए रूस के खिलाफ कुछ क्यों नहीं कर पाए ? इसका सीधा सा मतलब ये ही है कि रूस अभी UNSC की अध्यक्षता कर रहा है.. क्योंकि स्थायी मेंबर होने के चलते रूस के पास वीटो पावर है.. ऐसे में इन देशों की तरफ से रूस के खिलाफ आने वाले किसी भी प्रस्ताव के पारित होने की संभावना नहीं है.. इसका कारण है कि किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ रूस वीटो कर देगा। वीटो करने की स्थिति में वो प्रस्ताव पास नहीं हो सकेगा।। वहीं चीन भले ही मीटिंग में डिप्लोमैटिक बयान जारी कर रूस और यूक्रेन को बातचीत की सलाह दी है, लेकिन चीन भी ओपन डिबेट के दौरान किसी भी प्रस्ताव पर रूस का ही साथ देगा।।
इधर रूस-यूक्रेन सीमा पर घटनाक्रम बहुत तेजी से बदल रहे हैं. यूक्रेन में रूस ने सैन्य कार्रवाई की शुरुआत कर दी है. फिलहाल अमेरिका ने रूस को चेताया है. वहीं चीन ने मामले को शांति से सुलझाने की गुजारिश की है. इधर यूक्रेन की सरकार ने अब वहां मार्शल लॉ लागू कर दिया है.