इन दिनों देश में बुलडोजर काफी चर्चा में है.सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हर ओर बुलडोजर की ही चर्चा हो रही है. दरअसल हाल ही में बुलडोडर द्वारा कई ताबड़तोड़ कार्रवाइयां सुर्खियों में रही हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बुलडोजर की काफी चर्चा हुई थी.कुलमिलाकर अगर ये कहें कि मौजूदा सियासत में बुलडोजर एक अलग ही प्रतीक के तौर पर उभरा है तो गलत नहीं होगा।। वहीं बुलडोजर के चर्चा में आने के बाद इसके असली नाम, इसके काम करने के तरीके और इतिहास से जुड़े कई तरह के सवाल किये जा रहे हैं.. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बुलडोजर से जुड़े इन्हीं सवालों के जवाब देंगे बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
बुलडोजर" शब्द का जन्म 19वीं शताब्दी में माना जाता है जब बुलडोजर का अर्थ धातु को आकार देने और उसे मोड़ने के लिए उपयोग किए जाने वाले फोर्जिंग प्रेस से होता था. इसका संबंध एक और शब्द, “बुल डोज”, एक बड़ी डोज से जोड़ा जाता है जो किसी भी प्रकार की दवा या सजा के लिए उपयोग में लाया जाता था.
ज्यादातर लोग इसे JCB कहते हैं, लेकिन ये इसका नाम नहीं है. JCB वो कंपनी है जो ये मशीन बनाती है. इस जंबो मशीन का सही नाम बैकहो लोडर है.JCB कंपनी की नींव 1945 में रखी गई थी. कंपनी ने जो पहला बैकहो लोडर बनाया था, वो 1953 में बनाया था, वो नीले और लाल रंग का था. इसके बाद इसे अपग्रेड करते हुए साल 1964 में एक बैकहो लोडर बनाया गया, जो पीले रंग का था..
JCB एक्सावेटर्स लिमिटेड एक ब्रिटिश कंपनी है, जिसका मुख्यालय रोसेस्टर स्टाफोर्डशायर में है,, ये कंपनी भारी उपकरण बनाने के लिए जानी जाती है. इस कंपनी के मालिक और फाउंडर ब्रिटिश अरबपति जोसेफ सायरिल बम्फोर्ड थे.जोसेफ की मौत 2001 में हो गई थी। उन्ही के नाम पर कंपनी का नाम JCB रखा गया है.
JCB विश्व की तीसरी सबसे बड़ी निर्माण उपकरण बनाने वाली कंपनी है। ये बैकेहो लोडर के साथ अन्य कई बड़ी मशीनें बनाती है जो निर्माण कार्य, खेती, भार उठाना या जमीन खोदना आदि कामों में उपयोग की जाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी 300 से अधिक प्रकार की मशीन, खुदाई में उपयोगी ट्रैक्टर और डीजल इंजन आदि बनाती है। इसके साथ ही कंपनी दुनिया के 150 से अधिक देशों में प्रोडक्ट बेचती है..
वैसे बुलडोजर बनाने में जो कंपनियां दुनिया में सबसे आगे हैं, उनमें कैटरपिलर, कोमात्सु, लिभर, केज औऱ जॉन डीरे शामिल हैं. ये तो साफ है जैसे बुलडोजर का विकास हुआ, वो कृषि कामों की तुलना में सिविल कंस्ट्रक्शन के काम ज्यादा आने लगा. दुनियाभर में सैन्य निर्माण इकाइयां इनका खूब इस्तेमाल करती हैं.
भारत में आमतौर पर बुलडोजर के दाम करीब 10 लाख रुपए से शुरू होते हैं. ज्यादातर बुलडोजर दूसरे देशों से आय़ात होते हैं या टाटा या दूसरी बड़ी कंपनियां विदेशी तकनीक से सहयोग करके उसे देश में ही तैयार करती हैं. वैसे इनका दाम 50 लाख रुपए या इससे ज्यादा तक भी होता है. ये मॉडल, कंपनी और खासियतों पर निर्भर करता है