यूरोप में रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के चलते बड़े पैमाने पर तबाही मची हुई है. अभी तक दोनों ही पक्षों को भारी नुकसान हुआ है. यूक्रेन रूस के सामने हार मानने को तैयार नहीं है और उसके इसी जज्बे को देखते हुए अब कई देश यूक्रेन की मदद के लिए आगे आए हैं. आज नो दिस के इस वीडियो में हम जानेंगे कि कौन कौन से देश यूक्रेन की मदद के लिए आगे आए हैं और किस तरह रूस का मुकाबला करने के लिए देश को सपोर्ट किया जा रहा है. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
हाल ही में जर्मनी की सरकार ने पुष्टि की कि उसने यूक्रेन को एंटी टैंक हथियार भेजने को मंजूरी दी है. जर्मनी यूक्रेन को 1,000 एंटी टैंक हथियार, 500 'स्टिंगर' मिसाइल भेजेगा. ये मिसाइल सतह से हवा में मार करने में सक्षम हैं. फ्रांस ने यूक्रेन को 2.53 हजार करोड़ रुपये और सैन्य उपकरण की मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. इसके अलावा वो और सैन्य उपकरण देगा... साथ ही रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगा.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सैन्य सहायता के लिए 350 मिलियन डॉलर जारी करने का ऐलान किया था. अमेरिका की तरफ से ये मदद तब आई है, जब यूक्रेन भारी संकट में दिख रहा है. पहले अमेरिकी सरकार ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को ऑफर दिया गया था कि वो देश छोड़ सकते हैं, लेकिन उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था.
नीदर लैंड ने यूक्रेन को 200 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल, माइन डिटेक्शन रोबोट और रडार सिस्टम की मदद दी है. वहीं बेल्जियन ने रोमानिया में 300 सैनिक तैनात किए हैं. इसके अलावा स्वीडन ने जंग में तकनीकी और मानवीय सहायता कर यूक्रेन को सपोर्ट किया है. ब्रिटेन लॉजिस्टिक्स ऑपरेशन में यूक्रेन की मदद कर रहा है और पोलैंड ने भी यूक्रेन से सैन्य और दूसरे तरह की मदद का वादा किया है.
बता दें रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से अभी तक दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है. इस युद्ध की वजह से बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर गए हैं. वहीं, रूस ने अब यूक्रेन के कई छोटे शहरों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन में चार दिनों की लड़ाई में 29 विमान, 29 हेलीकॉप्टर, तीन अनमैन्ड एरियल व्हीकल और पांच एयर डिफेंस सिस्टम में गंवा दिए. यूक्रेन के गृह मंत्रालय ने बताया कि रूस के हमले में अभी तक 14 बच्चों समेत यूक्रेन के 352 नागरिकों की मौत हो चुकी है. अगर जंग ऐसे ही जारी रही तो यूक्रेन को बाकी देशों की मदद की काफी जरूरत पड़ सकती है.