पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बीजेपी नेताओं की टिप्पणी करने के मामले में विवाद गहराता जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो ख़ास तौर पर ये मुद्दा गरमा गया है. नूपुर शर्मा के विवादित बयान को लेकर कम से कम 16 मुस्लिम देश ऐसे हैं जो भारत से आधिकारिक विरोध जता चुके हैं। साथ ही 57 मुस्लिम देशों का संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन, यानी OIC भी नूपुर शर्मा के बयान की आलोचना कर चुका है. चूंकि ये वक़्त सोशल मीडिया का है तो ऐसे में इस पूरे विवाद को लेकर अब सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि एक गलत बयान पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले अरब देश लाखों उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे चीनी अत्याचारों पर चुप क्यों रहते हैं. तो आज के know this वीडियो में हम आपको ये ही बताने वाले हैं अरब देश चीन में उइगर मुस्लिमों के अत्याचार पर चुप क्यों रहते हैं? और चीन और अरब देशों के बीच इस दोस्ती की वजह क्या है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ
उइगर मुसलमान अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से ताल्लुक रखते हैं. इनकी उत्पत्ति मध्य और पूर्व एशिया में हुई. ये तुर्की भाषा बोलते हैं. चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिकतौर पर मान्यता दी गई है, उइगर उनमें से ही एक हैं. वर्तमान में उइगर मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी चीन के शिनजियांग क्षेत्र में रहती है। इसके अलावा उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाखस्तान में भी ये रहते हैं. चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले मुस्लिम उइगर हैं। इनकी आबादी करीब 1.20 करोड़ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन उइगर मुस्लिमों का पिछले कई वर्षों से सुनियोजित तरीके से शोषण करता रहा है। चीन पर उइगर मुस्लिमों के नरसंहार से लेकर जबरन मजदूरी कराने, जबरन नसबंदी कराने और महिलाओं से रेप के आरोप हैं। चीन उइगर मुस्लिमों को उनकी दाढ़ी कटाने के लिए भी बाध्य करता रहा है। साथ ही चीन उइगर प्रवासियों से उनकी पर्सनल जानकारियां उसे सौंपने को मजबूत करता रहा है और उनके परिवार को धमकियां देता रहा है ।
मुस्लिम देशों के दोहरे चरित्र की बात करें तो ये न केवल उइगर मुस्लिमों के मामले में चीन का समर्थन करते रहे हैं बल्कि उइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन द्वारा चलाए जा रहे वैश्विक कैंपेन का भी समर्थन करते रहे हैं. मार्च 2019 में सऊदी स्थित मुस्लिम देशों के संगठन OIC ने चीन की मुस्लिम नागरिकों को देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तारीफ की थी. इतना ही नहीं सच्चाई तो ये है कि कई इस्लामी देश खुद अपने ही मुस्लिम नागरिकों के साथ औपचारिक तौर पर अत्यंत बुरा बर्ताव करते हैं।
आखिर में आपको बताते हैं कि आखिर वो क्या वजहें हैं जिनके चलते मुस्लिम देश चीन के खिलाफ कुछ नहीं बोल पाते हैं,,
सबसे पहला कारण है चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जिसके आगे मुस्लिम देश झुके हुए हैं.. दरअसल एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे चीन के साथ मुस्लिम बहुल देशों के मजबूत आर्थिक संबंध हैं। ये मुस्लिम देश उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर चीन का विरोध करके उसकी नाराजगी नहीं मोल लेना चाहते।
एक चीन मुस्लिम जगत में अपनी जड़े काफी गहरे तरीके से जमा चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 50 मुस्लिम देशों में 600 अलग-अलग प्रोजेक्ट में चीन ने कुल 400 अरब डॉलर यानी 31 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसलिए मुस्लिम वर्ल्ड चीन में हो रही इन यातनाओं पर आंख मूंदे रहता है। साथ ही कई मुस्लिम देशों का चीन की तरह ही मानवाधिकार के मामले में रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। इसीलिए ये देश उइगर जैसे मुद्दों पर खामोश रहते हैं, जिससे उनके यहां मानवाधिकार हनन के मुद्दों पर चर्चा न हो।