पीएम मोदी QUAD समिट में शामिल होने के लिए सोमवार सुबह जापान पहुंच गए. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे। बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध और लद्दाख से लेकर ताइवान तक चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच क्वॉड देशों के शीर्ष नेता जापान की राजधानी टोक्यो में ये बैठक करने जा रहे हैं. भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के नेतृत्व वाला ये 'एशियाई नाटो' अब चीन पर फोकस करने जा रहा है..
तो आज के know this video में हम जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर ये QUAD क्या है? क्यों QUAD से चिढ़ा रहता है चीन? साथ ही जानेंगे कि कैसे भारत इस संगठन का गेमचेंजर बन सकता है ? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
सबसे पहले जानते हैं कि QUAD क्या है?
क्वॉड शब्द क्वॉड्रीलेटरल का छोटा रूप है, जिसका मतलब चार देशों के चतुर्भुज से है। 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत में सहयोग के लिए क्वॉड बनाने पर सहमति जताई। क्वाड (Quad) यानी क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग को बनाने का क्रेडिट जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को जाता है। 2007 में इस संगठन का गठन हुआ।
2007 में एशिया में चीन का दबदबा और खतरा बढ़ता देख चारों देशों ने क्वाड के गठन का फैसला किया। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका एशिया-प्रशांत रीजन में चीन के बढ़ते प्रभाव को कंट्रोल में रखना चाहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले कुछ सालो में यह संगठन नाटो की तरह ही एशिया-प्रशांत क्षेत्र का एक ताकतवर संगठन बनकर उभरेगा।
वहीं ये माना जाता है कि QUAD रणनीतिक तौर पर चीन के आर्थिक और सैन्य उभार को काउंटर करता है। इसलिए ये गठबंधन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है।एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन का भारत के साथ लंबे समय से सीमा विवाद रहा है, ऐसे में अगर सीमा पर उसकी आक्रामकता ज्यादा बढ़ती है, तो इस कम्युनिस्ट देश को रोकने के लिए भारत QUAD के अन्य देशों की मदद ले सकता है।
साथ ही QUAD में अपना कद बढ़ाकर भारत चीनी मनमानियों पर अंकुश लगाते हुए एशिया में शक्ति संतुलन भी कायम कर सकता है।
चीन को भारत-अमेरिकी दोस्ती से दिक्कत है लेकिन अमेरिका-पाकिस्तान की दोस्ती से कोई परेशानी नहीं है। अमेरिका में बाइडन प्रशासन के आने के बाद क्वॉड को एक नई गति मिली है। बाइडन के कार्यकाल में क्वॉड का यह तीसरा शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पहले क्वॉड को समुद्र की फेन करार दिया था लेकिन वह अब इसे खतरनाक मानते हैं। राजामोहन ने कहा कि भारत के क्वॉड देशों के साथ रिश्ते ने चीनी विश्लेषकों को टेंशन में डाल दिया है। वे भारतीय सेना और अमेरिका के बीच रिश्ते को एक बड़ा खतरा मान रहे हैं। चीनी विश्लेषकों का कहना है कि भारत लद्दाख में चल रहे तनाव का इस्तेमाल अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग को बढ़ाने में कर रहा है। एक्सपर्ट कहते हैं कि अमेरिका ने भी भारत और रूस की दोस्ती को मान लिया है और जानता है कि इसे एक झटके में खत्म नहीं किया जा सकता है। वहीं भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्द्धा अभी जल्द खत्म नहीं होने जा रही है। चीन सीमा विवाद को सुलझा सकता है लेकिन वह भारत के खिलाफ अपने एकमात्र रणनीतिक लाभ को खोना नहीं चाहता है। वहीं भारत और क्वॉड देशों के बीच रिश्ते और ज्यादा मजबूत होते जा रहे हैं।
आखिर में बता दें कि 24 मई को ही प्रधानमंत्री मोदी अपने समकक्ष जापान के प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के साथ भी बैठक संभावित है।