तुर्की पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं. FATF के अध्यक्ष डॉ मार्कस प्लेयर ने कहा कि तुर्की को अपने बैंकिंग और रियल एस्टेट क्षेत्रों में, सोने और कीमती पत्थरों के डीलरों के साथ supervision के गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है. तुर्की को साबित करना होगा कि वो money laundering,टेरर फाइनेंसिंग के मामलों से प्रभावी ढंग से निपट रहा है और ISIL और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के मामलों को प्राथमिकता दे रहा है. इन्हीं मुद्दों से निपटने को लेकर FATF ने तुर्की को स्पेशल टास्क दिए हैं.
इससे पहले पाकिस्तान बार बार तुर्की की मदद से ब्लैकलिस्ट होने से बच रहा था लेकिन अब खुद तुर्की ही FATF की इस लिस्ट में आ गया. तुर्की के अलावा, जॉर्डन और माली को भी ग्रे list में शामिल किया गया है, जबकि बोत्सवाना और मॉरीशस को इस लिस्ट से हटा दिया गया है.
क्या होगा असर ?
FATF की लिस्ट में शामिल होने से किसी देश के अंतरराष्ट्रीय फंडर्स के साथ संबंधों पर निगेटिव इंपैक्ट पड़ता है. लोन या financial मदद देने से पहले अंतरराष्ट्रीय बैंक और वित्तीय संस्थान FATF की रैंकिंग पर ध्यान देते हैं. इसके अलावा foreign direct investment (FDI) और portfolio flows भी प्रभावित होते हैं.
क्या है FATF ?
FATF यानि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स. ये एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना g-7 देशों की पहल पर साल 1989 में की गई थी. FATF का हेडक्वार्टर फ्रांस की राजधानी पेरिस में है. इसका काम international level पर मनी लॉन्ड्रिंग, mass destruction के हथियारों के प्रसार और टेरर फंडिंग पर निगाह रखना है. इसके साथ ही एफएटीएफ international finance system को सही रखने के लिए नीति बनाता है और उसे लागू करवाने का काम करता है. इसके कुल 39 सदस्य हैं जिनमें भारत समेत अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन भी शामिल है. 39 सदस्य देशों वाले fatf के नियमों के मुताबिक, ब्लैक लिस्ट से बचने के लिए किसी भी देश को 3 देशों का समर्थन चाहिए होता है.
हर साल तीन बार FATFकी बैठक आयोजित की जाती है. FATF की 2 लिस्ट है- ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट. ब्लैक लिस्ट में Non-Cooperative Countries को डाला जाता है यानि वो देश जो आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों का समर्थन करते हैं. इस लिस्ट में आने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय संगठनों और बैंक से financial मदद मिलनी बंद हो जाती है. वहीं ग्रे लिस्ट में उन देशों को शामिल किया जाता है जो टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का समर्थन करने के लिए सुरक्षित पनाहगाह माने जाते हैं. ग्रे लिस्ट देश के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करता है कि वो ब्लैक लिस्ट में एंटर कर सकता है. अब तक ब्लैक लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया को डाला गया है.
पाकिस्तान कब से ग्रे लिस्ट में ?
जून 2018 में FATF ने पाक को ग्रे लिस्ट में डाला था और अब तक उसे राहत नहीं मिल पाई है. एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान तब तक इस लिस्ट में रहेगा जब तक वो ये नहीं साबित कर देता कि वो हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह बिगड़ी हुई है और ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर उसकी इकॉनमी को और नुकसान होगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस लिस्ट में आने से पाकिस्तान को हर साल लगभग 10 अरब डॉलर का नुक़सान हो रहा है. फ़िलहाल पाकिस्तान ने अब तक fatf के 34 एक्शन पॉइंट में से 30 पूरे किए है.