तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में हालात रोजाना और बदतर होते जा रहे हैं... लोग तंगहाली से जूझ रहे हैं... खाने तक को लाले पड़ गए हैं...दो जून की रोटी का जुगाड़ करना भी लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है... इन मुश्किल हालातों में अफगानी ईरान समेत मिडिल ईस्ट के कई देशों में पनाह ले रहे हैं.. वहीं ईरान प्रवासियों की बढ़ती संख्या को लेकर खासा परेशान है... जिसके चलते कई बार बॉर्डर पर तो कई बार अंदरुनी इलाकों में टकराव के हालात पैदा हो रहे हैं... KNOW THIS के इस वीडियो में हम बताएंगे इन सबके पीछे क्या वजह है, क्यों अफगान प्रवासी हिंसा पर उतर आए हैं... बस वीडियो में आखिर तक बने रहिए हमारे साथ...
अमेरिकी फौज की वापसी के बाद अफगानिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है.. दिन ब दिन वहां हालात और खराब होते जा रहे हैं... काम और पैसों की तलाश में अफगानी नागरिक ईरान पहुंच रहे हैं... बता दें ईरान और अफगानिस्तान दोनों पड़ोसी मुल्क हैं और करीब 960 किलोमीटर लंबी बॉर्डर साझा करते हैं.. अब ऐसे में बॉर्डर के पास रहने वाले तकरीबन 5 हजार से ज्यादा अफगानी रोजी-रोटी की तलाश में बॉर्डर पार करते हैं... जिसके चलते अब यहां तनाव बढ़ने लगा है... अभी हाल ही में अफगानियों और ईरान बॉर्डर पर तैनात गार्ड्स के बीच हिंसक झड़प हुई... जिसके विरोध में शरणार्थी अफगानियों ने ईरान में रैलियां निकालीं... प्रदर्शनकारियों ने दूतावास के बाहर पथराव और आगजनी की... यहीं नहीं रमजान के पाक महीने में एक दरगाह के बाहर चाकूबाजी की घटना भी झकझोर देने वाली है... कथित अफगान शरणार्थी ने मौलवी समेत कुछ लोगों पर चाकू से हमला कर दिया... जिसमें मौलवी की मौत हो गई... ऐसी ही कई खबरें बीते दिनों चर्चा में रहीं.
दूसरी तरफ अगर बात की जाए तालिबानी हुकूमत की तो वो अफगानियों के बीच भरोसा बना पाने में पूरी तरह से फेल है... ना तो वो लोगों को खाने-पीने की चीजें मुहैया करा पा रहे हैं और ना ही रोजी- रोजगार... और तो और तालिबानी फौज के दहशतगर्द अफगानियों पर जुल्म अलग से ढा रहे हैं... बीते दिनों दहशतगर्दों ने एक सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या कर दी और उसकी बीवी से कहा... जिंदा रहना चाहती हो तो हमसे निकाह कर लो... ऐसे में उस बेबस महिला के पास देश छोड़ने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं था... अपने मासूम बच्चों के साथ उस महिला ने ईरान में शरण ली.. लेकिन वहां भी उसके साथ सही सलूक नहीं हो रहा था... जिस दर्जी की दुकान में वो काम करती थी.. वो उसे पैसे नहीं दे रहा था, और तो और उसके मकान मालिक ने भी उसे घर से निकाल दिया...ऐसे ही एक और शरणार्थी महिला की 9 साल की बेटी को ईरान में तस्करों ने बंधक बना लिया... हफ्ते भर बाद फिरौती मिलने पर उस मासूम को छोड़ा... ऐसी ही कई वारदातें अफगान शरणार्थियों के साथ हो रही हैं... जिसका नतीजा टकराव के रूप में सामने आ रहा है..
वहीं संयुक्त राष्ट्र की प्रवासी एजेंसी का कहना है ईरान के पास शरणार्थियों को संभालने की ताकत नहीं है...वो खुद कई तरह के प्रतिबंधों से जूझ रहा है... तालिबानियों के सत्ता में आते ही ईरान ने अफगानियों को वापस भेजना शुरू कर दिया है... जनवरी से मार्च के दौरान ढाई लाख से ज्यादा अफगानी वापस भेजे जा चुके हैं.. लेकिन अफगानिस्तान में हालात खराब होने के चलते ये लोग रोजी-रोटी के लिए फिर से ईरान पहुंच रहे हैं.. अब ये लोग अपने साथ हो रही बदसलूकी का जवाब देने लगे हैं... जिसका नतीजा ये सब घटनाएं हैं.. क्योंकि इंसान की फितरत है जब उसके वजूद पर खतरा मंडराता है तो बड़ी से बड़ी हुकूमत से टकरा जाता है.