बीते कुछ सालों से अमेरिका, रूस, जर्मनी और चीन में हथियारों के निर्माण और निर्यात की होड़ लगी हुई थी. शीत युद्ध के बाद से हथियारों का आयात और निर्यात दोनों ही सबसे ऊंचाई पर है. इसमें अमेरिका टॉप पर है, जो दुनियाभर के देशों में हथियार निर्यात में लगभग 37 फीसदी भागीदारी रखता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीन, पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश बन गया है. तो आज के KNOW THIS वीडियो में हम आपको बताएंगे कि रक्षा खरीद के लिए चीन पर क्यों निर्भर है पाकिस्तान साथ ही बताएंगे कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान ने चीन से कितने ,हथियार खरीदे हैं? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ..
दरअसल एक रिपोर्ट पब्लिश की गयी है जिसमें कहा गया है कि चीन ने 2017 और 2021 के बीच पाकिस्तान को बड़ी तादाद में लड़ाकू विमान, युद्धपोत, पनडुब्बियों और मिसाइलें भेजी हैं.. स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (Sipri) के नए आंकड़ों में कहा गया है कि 2017 और 2021 के बीच बीजिंग ने इस्लामाबाद की 72 प्रतिशत हथियारों की मांग को पूरा किया है. इस दौरान चीन द्वारा निर्यात किए गए प्रमुख हथियारों में से 47 फीसदी पाकिस्तान को भेजे गए.
इससे पहले पाकिस्तान ने 2012-16 में चीन से अपने हथियारों का 67 फीसदी हिस्सा आयात किया था, ये आंकड़ा 2007-11 में 39 फीसदी था. Sipri के विश्लेषण से ये भी सामने आया कि कई सौदों को संयुक्त कार्यक्रम का लेबल दिया गया है. Sipri के ‘ट्रेंड्स इन इंटरनेशनल आर्म्स ट्रांसफर, 2021; के तहत संकलित डेटा के मुताबिक दोनों देशों के बीच शीर्ष हथियारों के सौदों में जेएफ-17 लड़ाकू विमानों की निरंतर आपूर्ति शामिल है. इसमें इस साल शुरू होने वाले ब्लॉक -3 version की डिलीवरी शामिल है.
Sipri के आर्म्स ट्रांसफर प्रोग्राम के एक वरिष्ठ शोधकर्ता सिमोन वेजमैन के अनुसार ‘पिछले दो दशकों में हथियारों के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से चीन पर निर्भर था. ये अब साफ़ हो गया है. हमारा अनुमान है कि ये तस्वीर बदलने वाली नहीं है, क्योंकि अमेरिका ने पाकिस्तान को छोड़ दिया है और क्षेत्र में प्राथमिक भागीदार के रूप में भारत की ओर रुख किया है. चीन के बाद पाकिस्तान ने 2017-21 के बीच स्वीडन से (6.4%) और रूस (5.6%) से अपने अधिकांश प्रमुख हथियार खरीदे, जबकि इस्लामाबाद के बाद चीन से बांग्लादेश ने (16%) और थाईलैंड ने (5%) हथियार खरीदे हैं.
बता दें कि पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि चीनी सैन्य हार्डवेयर पर पाकिस्तान पूरी तरह से निर्भर है और ये निर्भरता पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘चीनी हथियारों और प्रणालियों पर पाकिस्तान की निर्भरता ऐसी है कि वो चीन का ग्राहक बन गया है. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इस प्रभाव का लाभ उठाती है और पाकिस्तानी सेना पर indirect control रखती है.’