पाकिस्तान की सियासत में आज कल हलचल मची हुई है.पाकिस्तान सरकार ने रविवार को एक नोटिफिकेशन जारी करके बताया कि इमरान खान अब प्रधानमंत्री के पद पर नहीं हैं, इस नोटिफिकेशन पर एडिशनल सेक्रेटरी एजाज ए डार के साइन हैं. कुल मिलाकर इमरान पर आफत सियासत के रास्ते आई है. ये तो हम सब जानते ही हैं कि पाकिस्तान में सत्ता उसी की होती है जिसपर सेना मेहरबान होती है. पाकिस्तानी सेना की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक पाकिस्तान में तीन बार सेना की दखल से तख्तापलट हुआ है. लेकिन आज के KNOW THIS वीडियो में हम जो आपको बताने जा रहे हैं वो पाक सेना के सियासी वर्चस्व के बारे में नहीं है बल्कि इस बारे में है कि पाकिस्तान के बिजनेस पर भी आर्मी का दबदबा है..आज हम आपको बताएंगे कि पाक सेना कैसे कमाती है करोड़ों? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ
पाकिस्तान में राजनीति, विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा से लेकर हर मोर्चे पर पाक आर्मी की दखल से शायद ही कोई अनजान होगा। हालांकि, बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि पाकिस्तान की आर्मी वहां के दूसरे सबसे बड़े बिजनेस ग्रुप को चलाती है.इस ग्रुप का नाम है 'फौजी फाउंडेशन. न्यूज एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फौजी फाउंडेशन का कारोबार खाने से लेकर बिजली तक के क्षेत्र में फैला हुआ है. पाकिस्तानी अख़बार डॉन के द्वारा 2016 में छापी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक़ तत्कालीन पाकिस्तानी रक्षामंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने सदन की कार्यवाही के दौरान सूचना दी थी कि सेना की व्यापारिक संस्था फौजी फाउंडेशन और इसकी सहयोगी संस्थाएं शाहीन फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट और डिफेन्स हाउसिंग अथॉरिटीज के पास पचास से ज्यादा प्रोजेक्ट, यूनिट और हाउसिंग कॉलोनी हैं.
फ़ौजी फाउंडेशन का मुख्यालय रावलपिंडी में है. सेना की ही सहयोगी व्यापारिक संस्था शाहीन फाउंडेशन एयरपोर्ट सर्विस, ऐरोट्रेडर, निटवियर, मेडिकल सर्विस, एडवरटाइजिंग, एविएशन कॉलेज और पेशावर में हाउसिंग स्कीम सहित कई और बिज़नेस चला रही है.
वहीं पाकिस्तान में भ्रष्टाचार कम नहीं है. स्विस बैंकों में पूर्व अफसरों के पैसे हैं. कुछ समय पहले स्विस बैंक में खातों को लेकर पाकिस्तान में एक खुलासा हुआ था. इसमें ये बात सामने आई कि यहां कई पाकिस्तानियों ने अपनी ब्लैक मनी छिपा रखी है. एक प्रमुख स्विस बैंक के डेटा लीक से 1400 पाकिस्तानी नागरिकों से जुड़े 600 खातों का विवरण सामने आया. इनमें पाकिस्तान के शीर्ष राजनेता और जनरल शामिल हैं.
इन अकाउंट्स में लगभग 80 हज़ार करोड़ की अघोषित संपत्ति है. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड अफसरों का ट्रस्ट भी है. इस ट्रस्ट पर सेना की ज़मीन के बन्दरबांट का आरोप लगता रहा है.
बता दें कि 2008 में एक इंटरनेशनल न्यूज़ पेपर ने मिलिट्री आई एन सी : इनसाइड पाकिस्तान मिलिट्री इकोनॉमी किताब की लेखिका आयशा सिद्दीक़ा के हवाले से ख़बर छापी थी कि पाकिस्तान की सेना का देश के अंदर बहुत बड़े लेवल पर बिज़नेस पर कब्ज़ा है.
सेना देश के लगभग एक तिहाई हैवी इंडस्ट्रीज को चलाती है. इतना ही नहीं संसाधनों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल रिटायर्ड अधिकारियों के ज़रिये होता है.इसके साथ ही सुईस क्रेडिट की रिपोर्ट में भी ये बात निकलकर सामने आई है. साथ ही पनामा पेपर्स के लीक होने पर पता चला था कि परवेज़ मुशर्रफ के जनरल रहे लेफ़्टिनेंट जनरल शफ़तुल्लाह शाह की लन्दन में 5 हज़ार करोड़ की संपत्ति थी.