पाकिस्तान अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है. बढ़ती महंगाई के चलते वहां हाहाकार मचा हुआ है. इसके साथ ही पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज का बोझ भी लगातार बढ़ता जा रहा है. आज के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि पाकिस्तान कितने कर्जे में है...पाकिस्तानी रुपया क्यों गिरता जा रहा है... पड़ोसी देश कैसे कंगाली का रिकॉर्ड बना रहा है. इमरान खान के आने से पहले पाकिस्तान का क्या हाल था....साथ ही जानेंगे कि आखिर कोई देश दिवालिया कब होता है.
कितने कर्जे में डूबा है पाकिस्तान?
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पाकिस्तान के ऊपर इस समय 50.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज और देनदारियां हैं. इसमें से 20.7 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज सिर्फ इमरान सरकार के ऊपर है. साफ है कि इमरान ख़ान की सरकार बनने के बाद पाकिस्तान का कर्ज काफ़ी बढ़ा है. इस सरकार ने सिर्फ तीन साल में ही पाकिस्तानी कर्ज दोगुना कर दिया. आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 तक पाकिस्तान के हर नागरिक पर औसतन 1,44,000 पाकिस्तानी रुपये का कर्ज था. जो सितंबर, 2021 में बढ़कर 2,35,000 रुपये हो गया है.
पाकिस्तानी रुपये का क्या हाल?
तीन साल से पाकिस्तानी रुपया लगातार गिरता जा रहा है. 2018 में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत 123 थी. ये अब 30% से ज्यादा टूटकर 179 तक पहुंच गई. इससे पहले पाकिस्तानी रुपए ने इतनी बड़ी गिरावट 1971 में देखी थी. पिछले महीने खुद इमरान खान ने कहा था कि उनके पास देश चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. साथ ही पाकिस्तान की वित्तीय मामलों की जांच एजेंसी FBR के पूर्व चेयरमैन सैयद शब्बर ज़ैदी ने कहा है कि अगर हालिया चालू खाते और fiscal deficit को देखें तो यह बताता है कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है.
आइए अब जानते हैं कि
कोई देश दिवालिया कब होता है?
किसी देश को दिवालिया घोषित करने में एक साथ कई आर्थिक ताक़तें काम करती हैं. निवेशकों का भरोसा किसी देश के दिवालियेपन की हैसियत को बताता है, जिसमें मूडीज़ जैसी कंपनी की क्रेडिट रेटिंग भी अहम रोल निभाती है. इसी साल मई में फिच रेटिंग्स ने पाकिस्तान को क़र्ज़ देने के जोखिम में 'बी' रेटिंग दी थी. यह रेटिंग देश की वित्तीय ज़िम्मेदारी का इतिहास, उनकी पिछली देनदारियों में चूक और IMF का कर्ज लौटाने की योजनाओं को देखकर दी जाती है. जब कोई देश अपने देनदार को समय पर कर्ज अदा नहीं कर पाता है तो उसे 'दिवालिया' कह दिया जाता है.
पहले पाकिस्तान का क्या हाल था?
सत्ता में आने के तीन साल में इमरान खान ने जितना कर्ज लिया है, बाकी सरकारों ने पांच साल में भी उतना नहीं लिया था. जहां PPP ने 5 सालों में 16 अरब डॉलर और नवाज लीग ने 5 सालों में 34 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लिया था, वहीं इमरान खान ने 3 साल में ही 35.1 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज ले लिया है. आर्थिक संकट के बीच, कर्ज में डूबे देश की हालत आगे और खराब होने की संभावना है.
पाकिस्तान का और होगा बुरा हाल
हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया है. FATF की लिस्ट में शामिल होने से किसी देश के अंतरराष्ट्रीय फंड देने वालों के साथ संबंधों पर निगेटिव इंपैक्ट पड़ता है. लोन या financial मदद देने से पहले अंतरराष्ट्रीय बैंक और वित्तीय संस्थान FATF की रैंकिंग पर ध्यान देते हैं. इसके अलावा foreign direct investment (FDI) और portfolio flows भी प्रभावित होते हैं. पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में होने का साफ मतलब है कि फायनेंसियल इंस्टीट्यूशन से उसे आसानी से कर्ज मिलना मुश्किल है.