पाकिस्तान की सत्ता पर चाहें कोई भी विराजमान हो, कश्मीर को लेकर भारत पर बेमाने आरोप लगाना वो कभी नहीं भूलते। अब जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर पाकिस्तान को को मिर्ची लग गई है। पाकिस्तान के नवनियुक्त विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर कश्मीर मुद्दा उठाया है।
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ये जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र महासचिव को संबोधित पत्र 10 मई को भेजा गया था। पत्र में विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में डेमोग्राफिक बदलाव करने का आरोप लगाया गया है। बिलावल भुट्टो ने यूएन को बताया कि भारत ने जम्मू-कश्मीर में जो किया है वो अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और जम्मू-कश्मीर विवाद पर संबंधित सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव शामिल हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अपने पत्र में जम्मू-कश्मीर में हुए परिसीमन को अवैध बताया। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के मुताबिक, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से परिसीमन का तत्काल संज्ञान लेने की अपील की है। साथ ही भारत को याद दिलाया कि कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद था। यहां किसी भी डेमोग्राफिक बदलाव से बचना चाहिए।
बिलावल भुट्टो से पहले विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी ने भी अपने कार्यकाल के दौरान संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर कश्मीर का मुद्दा उठाया था। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा- 370 को हटा लिया गया था। भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई थी, जिसने राजनयिक संबंधों को कमजोर किया और भारतीय राजदूत को निष्कासित कर दिया।
वहीं भारत ये साफ कर चुका है कि अनुच्छेद 370 को खत्म करना उसका आंतरिक मामला है। साथ ही भारत ने पाकिस्तान को वास्तविकता को स्वीकार करने और भारत विरोधी प्रचार को रोकने की सलाह भी दी थी। भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है। लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरानों की राजनीति कश्मीर से शुरू होती है और कश्मीर पर ही खत्म होती है। पाकिस्तान को अब तक ये समझ लेना चाहिए कि कश्मीर पर सिर्फ और सिर्फ भारत का ही अधिकार है। पाकिस्तान या दुनिया के किसी भी दूसरे मुल्क को कश्मीर पर बोलने का कोई हक नहीं है।