पाकिस्तान की बदहाली के लिए इमरान जिम्मेदार?
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट को मानें तो पाकिस्तान को 2021-22 के वित्तीय वर्ष में 12 से 17 अरब अमेरिकी डॉलर चालू खाता घाटा का सामना करना पड़ सकता है. वहीं व्यापार घाटे की बात करें तो - सरकारी आंकड़ों के अनुसार - पाकिस्तान में पिछले साल पहली तिमाही में जो व्यापार घाटा 5.8 अरब डॉलर था, वो इस साल बढ़कर 11.6 अरब डॉलर हो गया है.
अपने 3 साल के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चार वित्त मंत्री बदल दिए. लेकिन खराब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में नाकाम रहे. चौथे वित्त मंत्री शौकत तरीन ने साफ कर दिया है कि देश की इकॉनोमी सुधर नहीं रही, कोई पूंजी निवेश नहीं हो रहा और महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. इसलिए अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए सख्त फैसले लेने पड़ेंगे. पाकिस्तान में हालात इतने बुरे हैं कि सरकार कर्मचारियों को कर्ज लेकर वेतन दे रही है.
कंगाली के कगार पर कैसे पहुंचा पाकिस्तान?
पाकिस्तान की इकोनॉमी में गिरावट की सबसे बड़ी वजह है उसके आयात और निर्यात में लगातार बढ़ता अंतर. इस साल की पहली तिमाही के दौरान जुलाई से सितंबर तक पाकिस्तान ने 18.63 अरब डॉलर का आयात किया है जो कि पिछले साल इस दरम्यान 11.2 अरब डॉलर था. यानी आयात में 65 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली, वहीं देश के निर्यात में भी उछाल तो देखने को मिला लेकिन ये सिर्फ 27 प्रतिशत का रहा. जहां पिछले साल पहली तिमाही में 5.47 अरब डॉलर का निर्यात हुआ, इस साल की पहली तिमाही में ये आंकड़ा 6.9 अरब डॉलर रहा. गौर से देखें तो पिछले दो सालों में देश का व्यापार घाटा यानी आयात और निर्यात में लगातार बढ़ता जा रहा है.