अमेरिका में गन कल्चर के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। गन कल्चर के खिलाफ अमेरिकी नागरिक सड़कों पर उतर पड़े हैं। लोगों की मांग है सरकार गन कल्चर पर रोक लगाए, और ऐसा सख्त कानून बनाए ताकि लोगों को आसानी से गन उपलब्ध ना हो पाए। बता दें बीती 24 मई को टेक्सास के स्कूल में फायरिंग हुई जिसमें 19 बच्चों और 2 टीचर्स की मौत हो गई। इस घटना के बाद से लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है। वाशिंगटन समेत 450 शहरों में हजारों लोग लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वो सरकार को हाथ-पर-हाथ रखकर नहीं बैठने देंगे। सरकार को सख्त कदम उठाना ही होगा, अब कानून में बदलाव लाने की जरूरत है।
अमेरिका 230 साल बाद भी अपने गन कल्चर को नहीं खत्म कर पाया है। इसकी दो वजहें हैं। पहली वजह है कई अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं। दूसरी वजह है गन बनाने वाली कंपनियां, यानि गन लॉबी भी इस कल्चर के बने रहने की प्रमुख वजह है। गन लॉबी की जड़ें अमेरिकी राजनीति में इतनी गहरी हैं कि जब-जब गन कल्चर पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की पहल की गई। इस लॉबी के दबाव की वजह से वो कानून अब तक नहीं बन पाया। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 63 हजार लाइसेंस्ड गन डीलर थे, जिन्होंने उस साल अमेरिकी नागरिकों को 83 हजार करोड़ रुपए की बंदूकें बेची थीं।
अमेरिका में बंदूक खरीदना फल और सब्जी खरीदने जैसा है। अमेरिकी संविधान के दूसरे संशोधन के तहत अमेरिका नागरिकों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया। अमेरिका में इस कल्चर की शुरुआत तब हुई थी जब वहां अंग्रेजों का शासन था। उस समय वहां स्थायी सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार दिया गया, लेकिन अमेरिका का ये कानून आज भी जारी है।
अमेरिका के स्कूलों में इसी गन कल्चर की वजह से फायरिंग की सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं। एजूकेशन वीक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 से अमेरिका में स्कूलों में 119 गोलीबारी की घटनाएं हो चुकी हैं। अकेले 2022 में ही वहां स्कूलों में गोलीबारी की 27 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 140 की मौत हुई है। पिछले साल यानि 2021 में हुई गोलीबारी में 250 लोगों को निशाना बनाया गया था जिनमें से 103 लोगों की मौत हो गई थी। यानि देखा जाए तो अमेरिका में गन फायरिंग की घटनाएं पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी हैं।