आपने स्टार वार्स जैसी साइंस फिक्शन फिल्मों में कई बार लेजर हथियारों से ड्रोन और मिसाइलों को जलाकर भस्म करते देखा होगा। लेकिन अब ये कोरी कल्पना नहीं बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध में इन हथियारों का इस्तेमाल होना शुरू हो गया है। अब रूस ने यूक्रेन को जवाब देने के लिए अपने लेजर हथियार मैदान में उतारे हैं। इनके नाम हैं पेरेसवेट (Peresvet) और जदीरा (Zadira)। रूस का दावा है कि उसने यूक्रेन के कई ड्रोन्स और फाइटर जेट्स को इन्हीं हथियारों की मदद से मार गिराया है। ये दोनों लेजर हथियार इतने खतरनाक हैं कि धरती से 1500 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में मौजूद सेटेलाइट को पलक झपकते ही तबाह कर सकते हैं।
बात करें आधुनिक पीढी के इन लेजर हथियारों की तो। 2017 में रूसी मीडिया ने जदीरा के बारे में जानकारी दी थी। जदीरा को न्यूक्लियर कार्पोरेशन रोसातोम ने बनाया है। ये हथियार दुश्मन के ड्रोन और मिसाइल को 5 किलोमीटर दूर से निशाना बनाकर 5 सेकेंड में तबाह कर सकता है। ये हथियार इंफ्रारेड रेज का इस्तेमाल कर टार्गेट को इतना हीट कर देता है कि उसका बच पाना नामुमकिन हो जाता है। और पलभर में राख के ढेर में तब्दील हो जाता है।
वहीं बात करें पेरेसवेट की तो इसका जिक्र पुतिन ने 2018 में किया था। दरअसल इस हथियार का नाम मध्ययुग के ऑर्थोडॉक्स योद्धा मोंक एलेक्जेंडर परेसवेट के नाम पर रखा गया है। जिनकी युद्ध के दौरान मौत हो गई थी। ये हथियार दुश्मन के किसी भी सैटेलाइट को अंधा बना सकता है। ऐसे में ये सैटेलाइट अपना रास्ता भटक जाते हैं और डिस्ट्रॉय हो जाते हैं। वहीं इस हथियार की मदद से आसमान में मौजूद फाइटर जेट्स के पायलट्स को भी अंधा बनाया जा सकता है।
दुनियाभर में केवल रूस के पास ही ऐसे घातक हथियार नहीं हैं। भारत, अमेरिका, चीन, इजराइल समेत कई देशों के पास ऐसे विध्वंसक हथियार मौजूद हैं। भारत के पास DURGA-2, अमेरिका के पास LODGE और HELIOS, इजराइल के पास IRON BEAM और चीन के पास ZM-87 नाम के लेजर हथियार मौजूद हैं।
बात करें भारत के लेजर वेपन DURGA की तो इसे DRDO ने 2021 में बनाया था। इस हथियार को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसका इस्तेमाल आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों फोर्सेज कर सकती हैं। वहीं अमेरिकी नौसेना ने 2014 में LODGE नाम का लेजर वेपन बनाया था। इसे USS पेंस पर तैनात किया गया था। इसके अलावा अमेरिका एक और घातक लेजर हथियार बना रहा है जो 300 किलोवाट की घातक LASER किरणों का इस्तेमाल कर किसी भी ड्रोन, मिसाइल या फाइटर जेट को पलक झपकते ही मार गिराएगा। इजराइल भी लेजर हथियार की दौड़ में पीछे नहीं है।। इजराइल ने इस साल अप्रैल में पहली बार लेजर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। इसे ‘आयरन बीम’ नाम दिया गया है। आयरन बीम ने ड्रोन, मोर्टार, रॉकेट और एंटी टैंक मिसाइलों को अपने एक ही वार में तबाह कर दिखाया था।
वहीं पड़ोसी मुल्क चीन की बात की जाए तो चीन ने इस साल अपने जे-20 फाइटर जेट को लेजर हथियारों से लैस करने का ऐलान किया है। अब आपको थोड़ी जानकारी LASER यानि Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation के बारे में दे देते हैं। इस तरह की किरणें सूर्य के प्रकाश में नहीं पाई जातीं। बल्कि इनको लैब में कृत्रिम तरीके से बनाया जाता है। इन किरणों की Frequency और Wave length समान होती है। इसका मतलब है कि ये किरणें एकदम सीधे चलती हुई एक प्वाइंट पर फोकस होती हैं। आपने बचपन में लेजर टार्च तो देखी ही होगी। बस उसमें जो रेड कलर की लाइट निकलती है ना वो LASER किरणें ही होती हैं। वैसे तो LASER की खोज मानव जाति की भलाई के लिए की गई थी। इन किरणों की मदद से कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है। खासकर स्किन ट्रीटमेंट में इन किरणों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अगर इन्हीं लेजर किरणों की क्षमता बढ़ा दी जाए तो ये घातक हथियार का रूप ले लेती हैं। और बड़े से बड़े टार्गेट को आसानी से तबाह कर सकती हैं।