क्या आपने कभी सोचा है कि किसी जानवर के ऑर्गन को किसी इंसान के शरीर में ट्रांसप्लाट किया जा सकता है? जाहीर है कि ये किसी सपने से कम नहीं लेकिन अमेरिकी डॉक्टरों ने सूअर की किडनी को एक महिला के शरीर में Successfully ट्रांसप्लांट कर दिया है और ये पूरे तरीके से कामयाब भी रहा.
क्या है पूरा मामला ?
जानवर के ऑर्गन का ह्यूमन बॉडी में ट्रांसप्लांटेशन, जीनोट्रांसप्लांटेशन कहलाता है. और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसे लेकर बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. दरअसल, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के लैंगोन हेल्थ के डॉक्टरों ने एक महिला के शरीर में सूअर की किडनी को ट्रांसप्लांट किया. इसके लिए उन्होंने महिला के शरीर के बॉडी सेल्स में बाहर से ही एक सूअर की किडनी को जोड़ दिया और तीन दिनों तक सूअर की किडनी ने एक सामान्य इंसान की किडनी की तरह ही काम किया.
जिस महिला के शरीर में ये किडनी ट्रांसप्लाट की गई वो दरअसल ब्रेन डेड थी, उसकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया था जिस वजह से उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. जिनोट्रांसप्लांटेशन के इस इस प्रोसेस से पहले महिला के परिवार से इसके लिए सहमति ली गई थी. अब सवाल ये उठता है कि डॉक्टरों को इस एक्सपेरिमेंट में सफलता आखिर कैसे मिली, चलिए आपको बताते है
कैसे मिली एक्सपेरिमेंट में सफलता?
आपको बता दें सुअर की जीन्स में ग्लाइकोन नाम का एक शुगर मॉलिक्यूल होता है, जो कि इंसानों के जीन्स में नहीं पाया जाता. ये शुगर मॉलिक्यूल इंसान की बॉडी के लिए फॉरेन एलिमेंट होता है जिसे हमारा शरीर रिजेक्ट कर देता है. यही वजह रही कि इससे पहले जब जब भी किडनी ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की गई, हर बार वो फेल ही हुई. लेकिन अमेरिकी डॉक्टरों ने सुअर के जीन से इस शुगर मॉलिक्यूल को निकाल दिया और जेनेटिक इंजीनियरिंग से जानवर के जीन्स में बदलाव कर किडनी को ट्रांसप्लांट किया. अब आपको बताते हैं कि इससे मेडिकल साइंस को क्या फायदा होगा?
मेडिकल साइंस के लिए ये बड़ी उपलब्धि कैसे?
इससे पहले सदियों से जानवरों से इंसानों में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की कोशिश की जा रही थी लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली थी. ट्रांसप्लांट के ज्यादातर मामलों में कुछ घंटों के अंदर ही मरीज की मौत हो जाया करती थी. लेकिन इस मामले में मरीज की किडनी ने न सिर्फ 3 दिन तक ठीक तरह से काम किया बल्कि उसे किसी तरह को कोई रिएक्शन भी नहीं हुआ. उल्टा महिला के बल्ड में क्रिएटिनिन भी एकदम नॉर्मल लेवल पर आ गया. आपको बता दें ब्लड में क्रिएटिनिन लेवल का सीधा संबंध किडनी के फंक्शनिंग से होता है. क्रिएटिनिन का नॉर्मल लेवल का मतलब है कि महिला की किडनी एकदम सही तरह से काम कर रही है. इस सफलता के बाद अब वैज्ञानिकों के आगे का प्लान क्या होगा, चलिए आपको बताते हैं