ग्लासगो में COP26 climate summit के दौरान पीएम मोदी ने दुनिया से वायदा किया कि भारत 2070 तक नेट जीरो इमिशन के लक्ष्य को हासिल कर लेगा. जलवायु परिवर्तन के संकट से उबारने के लिए पीएम मोदी ने पंचामृत मंत्र देकर इस मसले पर विश्व को रास्ता दिखाया. नो दिस के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि Net Zero एमिशन का क्या मतलब है? नेट जीरो इमिशन से क्लाइमेट चेंज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? और अब तक कौन-कौन से देश इसके समर्थन में अपनी डेडलाइन तय कर चुके हैं. साथ ही आपको बताएंगे कि नेट जीरो एमिशन हासिल करने की भारत की पहल से क्या बदल सकता है.
क्या है नेट जीरो एमिशन?
नेट जीरो एमिशन का मतलब है जलवायु पर ग्रीन हाउस गैसों के असर को संतुलित करना. दूसरे शब्दों में समझें तो वातावरण में कार्बन एमिशन का हिसाब-किताब रखना. मान लीजिए किसी factory से एक खास मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज होता है और अगर वो कंपनी उस कार्बन को एब्जॉर्ब करने के लिए पर्याप्त संख्या में पेड़ लगा देती है तो इसे नेट-जीरो एमिशन माना जाएगा. इसके लिए कंपनियां Wind & Solar Power Plants लगाकर भी कार्बन एमिशन को कंट्रोल कर सकते हैं.
यानि कि देखने की बात ये है कि क्या कोई देश जितना कार्बन पैदा कर रहा है, उतना ही उसे एब्जॉर्ब करने के इंतजाम भी कर रहा है? फिलहाल दुनिया में सिर्फ दो देश हैं जिनका नेट एमिशन निगेटिव है. और वो देश हैं भूटान और सूरीनाम. ऐसा इसलिए क्योंकि इन देशों में ज्यादा हरियाली और कम आबादी है.
जीरो इमीशन क्यों जरूरी है?
ग्रीनहाउस गैसें धरती पर हमारी आवोहवा को वॉर्म यानी कि गर्म रखती हैं. अगर ग्रीन हाउस गैस न हों तो धरती पर ठंड की वजह से जीना मुश्किल हो जाए. लेकिन इन गैसों की मात्रा बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग की मुसीबत पैदा हो गई है. अब दिक्कत ये है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों का एमिशन की रफ्तार कम नहीं हुई तो साल 2050 तक धरती का तापमान उद्योगों की शुरुआत के वक्त रहे तापमान से दो डिग्री ज्यादा हो जाएगा. जिससे आर्कटिक महासागर के बर्फ और तमाम ग्लेशियर के पिघलने का खतरा बढ़ जाएगा. दुनिया भर में बाढ़ से लेकर फॉरेस्ट फायर, सूखा और अकाल तक की विनाशलीला शुरू हो जाएगी. जिसकी झलकियां पिछले कुछ सालों में देखने को मिली हैं.
इसलिए G-20 समिट में शामिल देशों के बीच सहमति बनी है कि 2050 तक जलवायु के बढ़ते तापमान 1.5 डिग्री सीमित रखने के उपाय किए जाएं.
कितने देश कर रहे हैं समर्थन?
फिलहाल 192 देश UN क्लाइमेट कन्वेंशन का हिस्सा हैं जिनमें से 137 देश नेट जीरो एमिशन का समर्थन कर रहे हैं. बता दें सबसे ज्यादा कार्बन एमिशन करने वाले देश अमेरिका और चीन हैं. जहां चीन ने 2060 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य रखा है. वहीं, अमेरिका सहित कई देशों ने 2050 तक नेट जीरो इमीशन के लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया है. विकासशील देश होने की वजह से भारत पहले नेट जीरो एमिशन के लिए किसी भी तरह के कमिटमेंट से इनकार कर रहा था लेकिन अब हमने भी इसका समर्थन कर दिया है.
क्या पूरा होगा जीरो एमिशन का लक्ष्य ?
Independent charitable organisation Oxfam की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सट्रा कार्बन एमिशन को दूर करने के लिए 2050 तक लगभग 1.6 बिलियन हेक्टेयर में नए जंगलों की जरूरत होगी. रिपोर्ट कहती है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए, पूरी दुनिया को सामूहिक रूप से जरूरी कदम उठाना होगा. साथ ही 2010 के स्तर से 2030 तक एमिशन में 45 प्रतिशत की कटौती करने का लक्ष्य रखना चाहिए. फिलहाल जो योजनाएं बनाई जा रही हैं, उससे 2030 तक एमिशन में केवल एक प्रतिशत की कमी आएगी.