चीन में पावर क्राइसिस की वजह क्या है?
कोरोना काल के बाद चीन में industrial activities में तेजी आने से बिजली की मांग बेतहाशा बढ़ा गई. और देश के कुछ बंदरगाह लंबे समय से बंद रहने की वजह से मांग के मुताबिक कोयले की सप्लाई नहीं हो पाई. कोयला के आयात के लिए बंदरगाहों पर लंबी कतार लगी है. लिहाजा भारी डिमांड और कम सप्लाई की वजह से कोयले के दाम दोगुने हो गए. और चीन के कई इलाकों में सरकार ने बिजली कटौती का ऐलान कर दिया. हालात इतने खराब हो गए हैं कि कई मॉल और दुकानें भी बंद हो गई हैं. घरों में अंधेरा छा गया है. पानी गर्म करने वाले एप्लायंस से लेकर ज्यादा बिजली खपत करने वाले सभी डिवाइस के इस्तेमाल पर सरकार ने रोक लगा दी है. वैसे कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बिजली कटौती करने की असली वजह राजनीतिक है. इसलिए चीन के अधिकारियों पर ऊर्जा के उपयोग को कम करने का दबाव बनाया गया है.
बिजली सकंट का दुनिया पर क्या असर होगा?
चीन में आए इस सकंट से पूरी दुनिया प्रभावित होगी. क्योंकि विश्व के कई देशो में इलेक्ट्रानिक गैजेट्स चीन से सप्लाई होते हैं. और पावर क्राइसिस से कई बड़ी कंपनियों के प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है. इनमें ऐपल और टेस्ला जैसी दिग्गज कंपनियों के नाम भी शामिल हैं. दरअसल इन कंपनियों के कुछ सप्लायर्स को बिजली की कमी के चलते अपने कुछ प्लांट में काम रोकना पड़ा है. करीब 15 चीनी कंपनियों ने पावर कट की वजह से उनके प्रोडक्शन पर बुरा असर पड़ने की बात मान ली है. उधर ताइवान की भी 30 से ज्यादा कंपनियों ने पावर कट की वजह से काम बंद कर दिया है. लिहाजा चीन के साथ-साथ बाहरी देशों की अर्थव्यवस्था पर भी इस संकट का बुरा असर पड़ने वाला है. मोबाइल से लेकर कार तक के प्रोडक्शन में कमी की वजह से बाहरी देशों को निर्यात में कमी आएगी.
.