रूस और यूक्रेन के बीच जंग हर दिन नया मोड़ ले रही है. आम लोगों के बीच जंग की दहशत जारी है. खबर है कि रूसी सेना ने यूक्रेन पर 500 किलो के बम से हमला किया है. इस हमले में लगभग 200 स्कूल और 34 अस्पताल तबाह हो गए हैं. रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला कर दिया था और उसी दिन से यहां युद्ध जारी है. इस बीच रूस की तरफ से दावा किया जा रहा है कि यूक्रेन डर्टी बम बनाने के करीब था, हालांकि रूस ने इसके कोई प्रमाण नहीं दिए हैं. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको डर्टी बम के बारे में सब कुछ बताएंगे. ये क्या होता है डर्टी, कितना खतरनाक है और रूस ने इस बम को लेकर क्या दावा किया है? इन तमाम सावलों के जवाब के लिए वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, रूसी मीडिया ने एक अज्ञात स्रोत के हवाले से दावा किया है कि यूक्रेन प्लूटोनियम-आधारित परमाणु हथियार ‘डर्टी बम’ बनाने के करीब था. रिपोर्ट में इस दावे को पुख्ता करता हुआ कोई सबूत नहीं दिया गया था. कहा गया कि यूक्रेन चेर्नोबिल न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में न्यूक्लियर हथियार तैयार करने वाला था. हालांकि रूस के इन इल्जामों को लेकर यूक्रेन का कहना है कि 1994 में सोवियत संघ की टूट के बाद ही उसने अपने परमाणु हथियार बनाने का प्रोग्राम छोड़ दिया था.
आइए जानते हैं डर्टी बम होता क्या है...अमेरिकी हेल्थ एजेंसी CDC के मुताबिक डर्टी बम कई खतरनाक चीजों से मिलकर बना होता है जैसे- डायनामाइट, रेडियोएक्टिव पाउडर और पैलेट. जब विस्फोटकों में धमाका होता है, तो इसके साथ ही रेडियोएक्टिव कण धमाके वाली जगह पर बिखर जाते हैं और बड़ी तबाही मचाते हैं. जिस दायरे में धमाके का असर होता है वहां रेडियोएक्टिव तत्व फैल जाते हैं. इसे रेडियोलॉजिकल डिस्पर्सल डिवाइस के तौर पर भी जाना जाता है.
जब डर्टी बम फटता है, तो उसके करीब रहनेवाले लोगों को सीधा नुकसान तो होता ही है, लेकिन जो इस बम से दूर होते हैं, रेडियोएक्टिव प्रदूषण उन तक भी पहुंचता है, जो आगे चल कर घातक बीमारियों की वजह बनता है. प्रभावित क्षेत्र में खाने की चीजें और पीने का पानी तक संक्रमित हो जाता है. जो लोग इसके सम्पर्क में आते हैं उन्हें इलाज और देखभाल की जरूरत पड़ती है.
इस बम के असर से बचने के लिए आम लोग कुछ हद तक बचाव कर सकते हैं. जैसे- जहां भी इस तरह का धमाका हुआ है वहां से दूर चले जाएं. अगर सफर नहीं कर सकते हैं तो घर के अंदर ही रहें. प्रभावित क्षेत्र में मौजूद लोगों को जो भी निर्देश दिए जाते हैं उसका पालन करना चाहिए. यूक्रेन के डिफेंस डिपार्टमेंट के मुताबिक 24 फरवरी से शुरू हुई इस जंग में अबतक रूस के 12 हजार जवानों की मौत हो चुकी है. वहीं, 303 टैंक बर्बाद हो चुके हैं.