दुनिया के कई देशों में इन दिनों मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीमारी ने सभी की टेंशन बढ़ाई हुई है. अधिकतर केस यूरोप के देशों और अमेरिका में रिपोर्ट हुए हैं. इसी बीच, एक पूर्व सोवियत वैज्ञानिक के दावे ने दुनिया में खलबली मचा दी है. दरअसल, वैज्ञानिक का कहना है कि रूस ने कम से कम 1990 के दशक की शुरुआत तक मंकीपॉक्स (Russia Monkeypox) को biological weapon के रूप में इस्तेमाल करने की संभावना पर ध्यान दिया था. अगर रूस ने अब मंकीपॉक्स को biological weapon के रूप में इस्तेमाल कर दिया तो, दुनिया में तबाही आ सकती है. साथ ही रूस के खिलाफ दुनिया के कई देश युद्ध छेड़ देंगे.
डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, सोवियत यूनियन के दौरान जैविक हथियारों के विशेषज्ञ कर्नल कनाट अलीबेकोव ने दावा किया कि उन दिनों एक प्रोग्राम चलाया गया था, जिसमें ये पता लगाया गया कि कौन से वायरस को हथियार बनाया जा सकता है. 1991 में सोवियन यूनियन के पतन तक वो देश के जैविक हथियार प्रोग्राम के डिप्टी हेड थे. अलीबेकोव ने कहा, ‘हमने ये पता लगाने के लिए एक स्पेशल प्रोग्राम शुरू किया था कि मानव चेचक के बजाए कौन से ‘मॉडल’ वायरस का इस्तेमाल किया जा सकता है. हमने स्मॉलपाक्स के लिए वैक्सीनिया वायरस, माउसपॉक्स वायरस, रैबिटपॉक्स वायरस और मंकीपॉक्स वायरस को मॉडल वायरस के तौर पर इस्तेमाल किया.’
पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, ‘हमारा आइडिया ये था कि इन मॉडल वायरस का इस्तेमाल करके सभी रिसर्च और विकास कार्य किए जाएंगे. एक बार जब हमें पॉजिटिव रिजल्ट मिलने लगेंगे, तो चेचक के वायरस के साथ हेरफेर किया जाएगा और दो हफ्ते के भीतर इसे युद्ध के लिए तैयार कर लिया जाएगा.’ उन्होंने बताया, ‘हमारे हथियारों के जखीरे में जैनेटिकली रूप से बदला गया चेचक वायरस रहा होता, जो चेचक के पिछले वायरस की जगह ले लेता.’ पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, ‘सोवियत यूनियन के बिखने के बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने भविष्य में जैविक हथियारों के बनाने के लिए मंकीपॉक्स वायरस पर काम करने का फैसला किया था
क्या है मंकीपॉक्स?
बता दें कि जैविक हथियारों के विशेषज्ञ कर्नल कनाट अलीबेकोव अमेरिकी कांग्रेस में सुनवाई के लिए बुलाया गया था. जहां पर उन्होंने कहा था कि वह पूरी तरह से इस बात को मानते हैं कि रूस का जैविक हथियारों का कार्यक्रम पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है. गौरतलब है कि मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है. यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था. यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन (tropical rainforest) क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है.