पुतिन हैं कि मानते ही नहीं.... यूक्रेन में इतनी तबाही मचाने के बाद भी हमले करने की उनकी भूख अभी तक शांत नहीं हुई है... और शायद आने वाले महीनों में पुतिन और आक्रामक हो जाएंगे... फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के प्रस्ताव पर रूस इस कदर चिढ़ गया है कि वो अब दुश्मन को ठंड और भूख से मारने की तैयारी में है....
दरअसल रूस के पड़ोसी फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने का ऐलान कर तनाव को और ज्यादा बढ़ा दिया है। इसके बाद ऐक्शन में आते हुए रूस ने फिनलैंड को गैस सप्लाई रोक दी है। रूस ने बताया है कि फिनलैंड ने रूबल में गैस का भुगतान करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद सप्लाई को बंद कर दिया गया है। रूस के इस कदम से फिनलैंड में ऊर्जा संकट गहरा सकता है। इतना ही नहीं, रूस के इस कदम से फिनलैंड की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ सकता है। फिनलैंड अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से भारी मात्रा में गैस खरीदता है।
फिनलैंड में फिलहाल तापमान 5 से 10 डिग्री के बीच है और आने वाले दिनों में वहां सर्दी का सितम और बढ़ेगा... ऐसे में रूस की ओर से गैस सप्लाई रोकने की वजह से फिनलैंड की मुसीबत काफी बढ़ सकती है... अगर वहां पर ऊर्जा संकट पैदा होता है तो... इतनी ठंड में लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा.... इसलिए ही कहा जा रहा है कि पुतिन बिना हथियार के ही अपने दुश्मनों की छक्के छुड़ाने की कोशिश में जुट गए हैं....
गैस सप्लाई के बाद फिनलैंड बोला- हम तैयार, गैस की कमी नहीं होगी... विदेशों से गैस खरीदने वाली फिनलैंड की सरकारी कंपनी गैसम ने कहा है कि वे पहले से ही रूसी गैस सप्लाई को बंद करने के लिए तैयार थे। उन्होंने दावा किया कि देश में गैस की किल्लतों का इंतजाम कर लिया जाएगा और इससे आम आदमी को कोई भी तकलीफ नहीं होगी। हालांकि, विशेषज्ञों की राय है कि बाहर से गैस आयात करने पर फिनलैंड पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। अगर ऐसा होता है तो नाटो में शामिल होना फिनलैंड को बहुत भारी पड़ जाएगा...
वहीं यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने प्रतिबंधों को देखते हुए सभी देशों से गैस की पेमेंट रूबल में करने की मांग की थी। रूस ने कहा था कि सभी देशों की गैस खरीद करने वाली एजेंसियों को रूस के बैंक में एक अकाउंट खोलना होगा और उसी के जरिए रूबल में भुगतान किया जाएगा। हालांकि, यूरोपीय संघ ने रूस के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था। जिसके बाद रूस ने पिछले महीने बुल्गारिया और पोलैंड को गैस काट दी थी। दूसरी ओर नाटो की सदस्यता पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे फिनलैंड और स्वीडन को अमेरिका ने खुला समर्थन दिया है। अब देखने वाली बात ये होगी कि नाटो में शामिल होना फिनलैंड और स्वीडन के लिए घातक और कितना फायदेमंद साबित होगा