रूस और यूक्रेन में जारी जंग के बीच अमेरिका और नाटो गठबंधन ने कभी नहीं सोचा होगा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की कोई ऐसा भी कदम उठा लेंगे. जहां एक ओर नाटो और अमेरिका यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कर पुतिन के खिलाफ उकसा रहे थे। दूसरी जेलेंस्की ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से ही 'डील' कर ली। आखिर क्या है वो डील आइए आपको बताते हैं.. दरअसल रूस और यूक्रेन में जारी जंग के बीच-बीच बातचीत की भी कोशिश हुई ताकि युद्ध को रोका जाए। धरातल पर इस बातचीत का कोई ज्यादा असर तो नहीं दिखा। लेकिन दोनों देशों के बीच में कुछ समझौते हुए हैं. इसी कड़ी में अब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने ऐलान कर दिया है कि वे रूसी कैदियों को रिहा करने जा रहे हैं. इसके बदले में रूस को मारियूपोल में यूक्रेनी नागरिकों और सैनिकों का सुरक्षित रेस्क्यू करने देना होगा।
आपको बता दें कि इससे पहले भी रूस और यूक्रेन के बीच में 'सेफ कॉरिडोर' को लेकर सहमति बनी है. अब एक बार फिर अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिका और नाटो गठबंधन की बिना परवाह किए ये बड़ा कदम उठाया है. ये कदम उठाने के लिए जेलेंस्की को इसलिए मजबूर होना पड़ा क्यों कि यूक्रेन का मारियुपोल ही वो शहर है जहां रूसी फौज ने ताबड़तोड़ हमले कर भारी तबाही मचाई है। ये वही इलाका है जहां पर रूसी सेना को बड़ी सफलता भी मिली है. ऐसे में यहां से यूक्रेनी नागरिकों का रेस्क्यू जेलेंस्की की फौज के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा था. अब उसी चुनौती को कम करने के लिए यूक्रेन, रूस के कैदियों को रिहा कर देगा.
रूस और यूक्रेन युद्ध का केंद्र अभी कीव ना होकर डोनबास हो गया है. ये वही इलाका है जहां पर रूसी सेना अब ताबड़तोड़ हमले कर रही है. रूसी फौज पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह से इस इलाके पर उसका कब्जा हो जाए. लेकिन जमीन पर स्थिति इसके उलट दिखाई दे रही है. यूक्रेन ने दावा किया है कि पिछले 24 घंटे में रूस की ओर 10 बार डोनबास इलाके पर हमला करने की कोशिश की गई है, लेकिन हर बार वो फेल रही. इसी तरह मारियूपोल को लेकर भी यूक्रेन दावा कर रहा है कि उसने कुछ इलाकों में रूसी सेना को पीछे खदेड़ दिया है. अब इन दावों के साथ दोनों देशों की तरफ से चेतावनियां भी लगातार दी जा रही हैं. हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया कि सेना की ओर से Sarmat बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया. इस खास मौके पर उन्होंने यहां तक कह दिया कि अब दुश्मन उनके देश पर हमला करने से पहले दो बार जरूर सोचेगा. वैसे अमेरिका की तरफ से इस परीक्षण पर कोई बड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. सिर्फ इतना कहा गया है कि उनको इस परीक्षण की पहले से जानकारी थी और रूस द्वारा सिर्फ रुटीन टेस्टिंग की गई है.