सऊदी अरब ने तबलीगी जमात पर क्या कहा?
सऊदी प्रशासन ने तब्लीगी जमात को समाज के लिए खतरा और आतंकवाद का सबसे बड़ा द्वार करार दिया है. सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉ अब्दुल्लातिफ अल शेख ने सोशल मीडिया पर इस बात का ऐलान किया. सरकार ने वहां की मस्जिदों के इमामों को निर्देश दिया है कि वो शुक्रवार को नमाज के लिए आने वाले लोगों को तबलीगी जमात की असलियत के बारे में बताएं और इसमें शामिल होने से तबलीगी जमात के लोगों को रोका जाए
सऊदी अरब ने तबलीगी जमात को क्यों किया बैन?
सऊदी अरब ने तबलीगी जमात को आतंकवाद का जन्मदाता बताते हुए बैन लगाया है. दरअसल सऊदी अरब पर पहले से ही वहाबी विचारधारा को फैलाने का आरोप लगता रहा है. वहाबी यानि सुन्नियों का ऐसा समूह जिसका कहना है कि शरीयत को समझने और उसका सही ढंग से पालन करने के लिए सीधे क़ुरान और पैग़म्बर मोहम्मद के कहे हुए शब्दों का ही अध्ययन करना चाहिए. बस इसलिए प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश की कट्टरपंथी छवि को बदलने में
जुटी हुई है. वहीं वो चाहते हैं कि उनका देश सभी धर्मों का सम्मान करे. तबलीगी जमात पर बैन लगाना भी इसी कड़ी में लिया गया एक और फैसला है
दारुल उलूम देवबंद ने इस पर क्या कहा?
इस्लामी तालीम के सबसे बड़े मरकज दारुल उलूम देवबंद ने सऊदी सरकार के फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की. मोहतमिम मुफ्ती मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए कहा कि उसे इस गलत फैसले से दूर रहना चाहिए और जमात पर से बैन हटा देना चाहिए. इससे पूरी दुनिया के मुसलमानों में गलत संदेश जाएगा. दारुल उलूम देवबंद के मुस्लिम धर्म गुरुओं सऊदी अरब के इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है. मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी का कहना है कि तब्लीगी जमात अपनी स्थापना के पहले दिन से ही मुसलमानों को मस्जिदों से जोड़ने का काम कर रही है और इसका फैलाव लगभग पूरी दुनिया में है. जमात और इससे जुड़े लोगों पर दहशतगर्दी का इल्जाम बिल्कुल बेबुनियाद है
क्या है तबलीगी जमात ?
तबलीगी जमात को सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन या समूह बताया जाता है. तबलीगी जमात की शुरुआत आज से लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी. तबलीगी जमात का काम खासकर इस्लाम को मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है. पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी सिद्धांतों का प्रचार करना होता है. भारत में ये संगठन 1926 में अस्तित्व में आया. तबलीगी जमात से जुड़े लोग पूरी दुनिया में इस्लाम के प्रचार-प्रसार का काम करते हैं. इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाता है जहां की मस्जिदों में ये लोग ठहरते हैं और वहां के लोकल मुसलमानों से नमाज पढ़ने और इस्लाम की दूसरी शिक्षाओं पर अमल करने की सीख देते हैं. आपको याद दिला दें कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान दिल्ली में तबलीगी जमात के जलसों को लेकर काफी बवाल हुआ था. तब इस जमात पर कोरोना वायरस फैलाने के आरोप लगे थे.