खुशी के मौके पर हर इंसान के लिए नाचना, झूमना एक आम बात है लेकिन सोचिए अगर कोई बिना कारण ही ऐसा करने लगे तो ये बहुत ही आश्चर्यजनक और बेवकूफाना या फिर पागलपन भी लग सकता है. लेकिन आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो बहुत ही विचित्र घटना है. करीब 500 से पहले घटी वो घटना जिसमें बिना वजह लोगों के नाचने और हंसने ने लोगों को हैरत में डाल दिया..इतना ही नहीं ये रहस्यंमयी घटना जिसे डांसिंग प्लेग का नाम दिया गया ये 400 लोगों की मौत का कारण तक बनी थी.. तो आज के KNOW THIS वीडियो में हम आपको इसी विचित्र घटना की पूरी कहानी बताएंगे साथ ही बताएंगे कि आखिर ये Dancing Plague क्या था और कैसे शुरु हुआ? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
Dancing Plague क्या था, कैसे शुरू हुआ?
दरअसल बात 1518 की है, जब फ़्रांस डांसिंग प्लेग नामक बीमारी का शिकार हुआ था. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये एक महामारी थी, जिसमें लोग नाचते-नाचते मौत के शिकार हो गये थे. ये घटना इतिहास की रहस्यमयी घटनाओं में आती है, जिसे अब तक कोई नहीं सुलझा पाया है.
कहा जाता है कि 500 साल पहले फ़्रांस के स्ट्रासबर्ग में एक युवा लड़की रहा करती थी. एक दिन पता नहीं उसे क्या हुआ, उसके हाथ-पैर हिलने लगे और वो नाचने लगी. महिला नाचने में इतनी मग्न हो गई कि वो डांस करते-करते बाहर आ गई. सड़क पर उसे यूं नाचता देख बाकी लोग भी इक्ठ्ठा हो गये. देखते ही देखते उसे देख बाकी लोग भी नाचने लगे. वो बिना रुके लगातार नाचते रहे. एक मैनिया की तरह ये फैला और नाचने वाले लोगों की संख्या बढ़ती ही गई. बात यहां तक आ पहुंची की नाचते नाचते 34 लोग मर गये. लोग नाचते-नाचते थकावट, डिहाइड्रेशन और स्ट्रोक के चलते मर रहे थे लेकिन वो नाचना नहीं छोड़ रहे थे. एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि फ़्रांस में अचानक आई इस बीमारी से प्रतिदिन लगभग 15 लोग मारे जाने लगे. कई इतिहासकारों ने इस घटना का ज़िक्र भी किया है..अगस्त 1518 के अंत तक करीब 400 लोग इस पागलपन का शिकार हो चुके थे. आखिरकार उन्हें ट्रकों में भरकर स्वास्थ्य केंद्र ले जाना पड़ा था. सितंबर के शुरुआत में ये बीमारी ख़त्म होनी शुरू हुई. हालांकि घटना के पीछे कोई ठोस कारण सामने नहीं आ सका. वहीं रहस्य मी डांस की घटना को डांसिंग प्लेपग का नाम दिया गया. कई लोग इस घटना को भूत-प्रेत से जोड़ कर भी देख रहे थे. हांलाकि, वहीं दूसरी ओर जानकारों ने इसे महामारी घोषित किया. कई चित्किसकों द्वारा इसे मानसिक रोग भी बताया गया हालांकि ये पहली बार नहीं था कि यूरोप में एक ऐसी बीमारी फैली थी.
Subconscious की कंडीशन
डांसिग प्लेग को कुछ लोग कलेक्टिव हिस्टीरिया भी मानते हैं. ये मुमकिन है क्योंकि 1518 में स्टार्सबर्ग के ग़रीब भूख, बीमारी और अध्यात्मिक निराशा से जूझ रहे थे. ये कंडीशन उन्हीं लोगों में होती है जो कि दिमागी तौर से काफी परेशान रहते हैं या फिर आध्यात्मिक तौर ध्यान की अवस्था में होते हैं.
स्ट्रासबर्ग में स्थितियां कुछ ऐसी ही थीं. वहां के ग़रीब लोग दिमागी तौर पर परेशान थे, सूखे की समस्या और कई तरह के बीमारियों से जूझ रहे थे. ऐसी कई बातें हैं जो ये साबित करती हैं कि कहीं ना कहीं ये बीमारी लोगों की अवचेतन मन की एक अवस्था भी हो सकती है.
डांसिंग प्लेग का मॉडर्न एनालिसिस
जहां डांसिंग प्लेग को उस वक़्त कुछ लोग अभिशाप का डर मान रहे थे जिसका डर लोगों को अवचेतन में धकेलने में कामयाब हो सकता है, और एक बार ये हो जाता है, तो लोग दिन रात नाचते रहते हैं. वहीं 1800 दशक में मेडागास्कर में दर्ज इस विचित्र बीमारी को लेकर आधुनिक समझ पैदा हुई, जहां इसे टाइग्रेटियर कहा जाता था और ये सैकड़ों को संक्रमित करता था. उस समय के स्कॉटिश चिकित्सक एंड्रयू डेविडसन ने 1867 में एक रिसर्च पेपर में सुझाव दिया था कि ये रोग, एक मनोवैज्ञानिक बीमारी, धार्मिक अंधविश्वासों और उस समय की कठोर सांस्कृतिक कल्पना से जुड़ी थी..
आखिर में ये ही कि कई बहस और रिसर्च हुईं लेकिन अब तक साबित नहीं हो पाया कि आखिर ये 'डांसिग प्लेग' था क्या और कहां से आया. ये रहस्यमयी घटना अब तक रहस्यमयी ही बनी हुई है. इस बात से साफ़ है कि कई महामारी जैसी बीमारियां पहले भी आ चुकी हैं. बस हमें इनसे बचकर निकलने की ज़रूरत है.