अगर हम आपसे पूछें कि इंसान में कौन-कौन से ब्लड ग्रुप्स पाए जाते हैं, तो आप कहेंगे कि A, B, AB, 0+ और निगेटिव. लेकिन सिर्फ यही ब्लड ग्रुप नहीं हैं, एक ब्लड ग्रुप ऐसा भी है जो बहुत कम लोगों के शरीर में पाया जाता है. इसकी वजह से ही उसको गोल्डन ब्लड कहते हैं.
तो आज के KNOW THIS VIDEO में हम जानेंगे कि आखिर ये गोल्डन ब्लड क्या बला है साथ ही ये भी जानेंगे कि इसे गोल्डन ब्लड क्यों कहा जाता है. बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
गोल्डन ब्लड को आरएच नल के नाम से भी जाना जाता है. यही इसका असली नाम है. चूंकि ये सबसे रेयर ब्लड ग्रुप है इस वजह से researchers ने इसे गोल्डन ब्लड नाम दिया है. इस खून की कीमत बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि ये किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को चढ़ाया जा सकता है, यानी कि ये हर ब्लड ग्रुप के साथ आसानी से मैच हो जाता है. बता दें कि ये सिर्फ उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है, जिनका Rh फैक्टर null होता है. Rh Factor Red Blood Cells की सतह पर पाया जाने वाला एक ख़ास तरह का प्रोटीन है. अगर ये प्रोटीन RBC में मौजूद है तो ब्लड Rh+ Positive होता है. इसके उल्टा अगर प्रोटीन नहीं है तो ब्लड Rh- Negative होगा. इस प्रोटीन को RhD एंटीजन भी कहते हैं. लेकिन इस खास ब्लड ग्रुप वाले लोगों में Rh फैक्टर ना ही पॉजिटिव होता है और ना ही निगेटिव जैसा कि हमने बताया वो Null होता है.
यूएस रेयर डिसीज इन्फॉर्मेशन सेंटर के अनुसार, गोल्डन ब्लड ग्रुप एंटीजन से रहित होता है इसलिए जिन लोगों के शरीर में ये खून होता है, वो एनीमिक हो सकते हैं. यही रीजन है कि डॉक्टर ऐसे लोगों के डाइट पर खास ध्यान देने और आयरन वाली चीजों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने की सलाह देते हैं.
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि ये एक प्रकार का दुर्लभ ब्लड ग्रुप है. बिगथिंक की एक रिसर्च के मुताबिक, साल 2018 तक ये गोल्डन ब्लड सिर्फ 43 लोगों में पाया गया था. जिन लोगों के पास ये ब्लड ग्रुप है, उनमें अमेरिका, ब्राजील, कोलंबिया और जापान के लोग शामिल हैं. पूरी दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के नौ लोग ही हैं, जो इसे डोनेट करते हैं, इसलिए ये गोल्डन ब्लड कहलाता है. इस ग्रुप का डोनर मिलना बहुत मुश्किल है.
इस ब्लड ग्रुप को इंटरनेशनल लेवल पर ट्रांसपोर्ट करना भी कठिन है. ये दुनिया में सबसे महंगा ब्लड ग्रुप है. इस खून को तो किसी को चढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को खून की जरूरत होती है, तो कई तरह की परेशानियां होती हैं क्योंकि ये आसानी से नहीं मिलता. चूंकि इस ब्लड ग्रुप के नौ लोग ही खून को सक्रिय तौर पर डोनेट करते हैं ताकि खून को ब्लड बैंक में जमा किया जा सके.. इसलिए इस ब्लड ग्रुप को सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता है, जो इस ग्रुप के हैं.