श्रीलंका के बाद भारत के एक और पडोसी मुल्क की हालत खस्ता है। खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। महंगाई इतनी ज्यादा है कि वहां की जनता को खाने तक के लाले पड़ गए हैं.. इकॉनमी की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वहां के प्रधानमंत्री अपने कपड़े बेचने को तैयार हैं। ताकि आवाम के लिए दो जून की रोटी का जुगाड़ कर सकें। अब तक तो आप अंदाजा लगा ही चुके होंगे कि हम किस देश की बात कर रहे हैं। अगर नहीं लगा पाएं हैं तो आपको बता देते हैं कि हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान की। ये वही पाकिस्तान है जो बात-बात पर पड़ोसी देशों को गीदड़ भभकी देता रहता है। लेकिन वो ये भूल जाता है कि उसकी हालत इतनी पतली हो चुकी है कि वो अपनी आवाम का पेट भरने के लिए सस्ता आटा तक मुहैया नहीं करवा पा रहा।
कुर्सी बदली, निजाम बदला लेकिन पाकिस्तान के माली हालात नहीं। महंगाई की मार झेल रहा पाकिस्तान इन दिनों गंभीर खाद्य संकट से गुजर रहा है। पाकिस्तान में महंगाई दर पिछले 12 साल से सबसे उच्चतम स्तर पर है। पाकिस्तान में 10 किलो आटा 750 से 800 रुपए में बिक रहा है। जबकि चावल, दाल, सब्जी और फलों के दाम भी दोगुना हो चुके हैं। अब बात करें कि आखिर पाकिस्तान में चीजों के दाम इतने महंगे क्यों है जबकि पाकिस्तान दुनियाभर के टॉप 10 गेहूं उत्पादकों की लिस्ट में शामिल है, इसके बावजूद वहां गेहूं के भाव इतने क्यों बढ़ गए?
इसके पीछे दो बड़ी वजह सामने आ रही हैं। पहली वजह इमरान सरकार ने गेहूं उत्पादन का गलत अनुमान लगाया। उसके बाद गेहूं का निर्यात रोकने में भी विफल रहे। दूसरी बड़ी वजह जमाखोरी है। पाकिस्तान के व्यापारी भी मौके का खूब फायदा उठा रहे हैं। जमाखोरी के चलते गेहूं के दाम 5 हजार से 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बढ़ गए हैं, जिसकी वजह से आटा 75 से 80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
महंगाई पर लगाम लगाने में इमरान सरकार तो फेल रही लेकिन नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी कोई बड़ा कदम नहीं उठा पा रहे हालांकि उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री महमूद खान को अल्टीमेटम देते हुए कहा है, ‘अगर 24 घंटे के भीतर 10 किलो गेहूं के आटे की बोरी की कीमत घटाकर 400 रुपये नहीं की तो वो अपने कपड़े बेच देंगे और लोगों को सस्ता आटा खुद उपलब्ध कराएंगे.’
शहबाज शरीफ ने इमरान खान पर निशाना साधते हुए कहा, ‘उन्होंने देश को अब तक की सबसे ज्यादा महंगाई और बेरोजगारी का तोहफा दिया है।’ कमोबेश शहबाज शरीफ का ये आरोप काफी हद तक सही भी है क्योंकि इमरान सरकार विदेशों से कर्ज पर कर्ज लेती गई, खासकर चीन से। आज पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ इतना ज्यादा है कि उसके रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा केवल ब्याज के भुगतान में चला जाता है। पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व यानि विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली होने के कगार पर पहुंच गया है जिसकी वजह से पाकिस्तान खाने-पीने की चीजों का आयात भी नहीं कर पा रहा। तो ये सारी वजहें हैं जिनके चलते पाकिस्तान की आवाम के हाथ से रोटी छिनती जा रही है।