अगर हम आपसे कहें कि दुनिया में नरक का दरवाजा है तो क्या आप यकीन करेंगे? यकीनन नहीं, लेकिन तुर्कमेनिस्तान में एक नरक का दरवाजा यानि कि Gateway to hell है. जिसे वहां के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने बंद करने का आदेश जारी कर दिया है. आपको ये सुन कर अजीब लगा रहा होगा लेकिन ये सच है. राष्ट्र पति गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि नरक के दरवाजे में लगी आग को बुझाने का तरीका निकालें. बता दें कि ये आदेश गुरबांगुली बर्डीमुखामेदोव का पहला आदेश नहीं हैं इससे पहले भी उन्होंने 2010 में इस आग को बुझाने का आदेश दिया था. लेकिन ऐसा किया नहीं जा सका था.
तो आज के know this vodeo में हम आपको बताएंगे कि आखिर ये नरक का दरवाजा है क्या? और ये कैसे बना? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ.
क्या है नर्क का दरवाजा और ये कैसे बना?
तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में Darvaza नाम का एक गड्ढा है, जिसमें पिछले 5 दशक से आग धधक रही है. ये आग इतनी भयानक है कि इसकी लपटें कई मीटर की ऊंचाई तक उठती रहती हैं. साथ ही गड्ढे के भीतर खौलती हुई मिट्टी दिखती है, ये गड्ढ़ा 69 मीटर चौड़ा और 30 मीटर गहरा है. इसे पूरी दुनिया में नरक का दरवाजा कहते हैं. इसे यहां की भाषा में नर्क का दरवाजा कहा जाता है, लेकिन इसका कोई कनेक्शंन नर्क या शैतान से बिल्कुेल भी नहीं है. ये गड्ढा दरअसल एक गैस क्रेटर है, जो मिथेन गैस के चलते जल रहा है. अब अपने रहस्य के चलते ये जगह सैलानियों के लिए बड़ा आकर्षण है.
इसके इतिहास की बात करें तो इस गड्ढे की कहानी काफी आम है. तुर्केमेनिस्तान पहले सोवियत संघ का हिस्सा था. उसी दौरान सत्तर की शुरुआत में यहां प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार का पता चला. तब रूस की हालात ये थी कि वो दूसरे विश्व युद्ध के बाद आई आर्थिक कमजोरी से जूझ रहा था. ऐसे में रूस की आर्थिक कमजोरी को दूर करने के लिए ये गैस भंडार काफी मददगार साबित हो सकता था. वहीं प्राकृतिक गैस निकालने की होड़ में साल 1971 में यहां बड़ा विस्फोट हो गया. इसी विस्फोट से वो गड्ढा बना, जिसे आज डोर टू हेल कहते हैं. इसके बाद मीथेन के इस फैलाव को रोकने के लिए साइंटिस्ट ने एक तरीका निकाला, उन्होंने गड्ढे के सिरे पर आग लगा दी. वैज्ञानिकों का अनुमान था कि आग गैस के खत्म होने के साथ ही बुझ जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कई साल बीतने के बाद भी आग वैसे ही जल रही है.
आग पहुंचा रही लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान
जिस तरह से ये आग लगातार जल रही है और इसकी चर्चा इतनी ज्यादा हुई कि देश के राष्ट्रपति गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव को 2019 में एक ऑफ-रोड ट्रक से इसके चारों घूमते हुए देखा गया था..अब बेर्दयमुखमेदोव ने अपनी सरकार को आग बुझाने के तरीकों की तलाश करने के आदेश दिए हैं क्योंकि यह 'पारिस्थितिक नुकसान' पैदा कर रही है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि इससे आसपास रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है.
कैसे बना फेमस टूरिस्टव प्लेरस?
धीरे-धीरे दुनियाभर में जब इसकी चर्चा शुरू हुई तो ये गड्ढ़ा तुर्कमेनिस्तान के सबसे चर्चित और आकर्षित करने वाले टूरिस्ट् प्लेोस में शामिल हो गया. जहां इसको लेकर कुछ negative चर्चाएं थीं तो कई ऐसी भी चर्चाएं थीं जिनके चलते इसे देखने हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचने लगे और इसकी तस्वीेरों को भी लेना नहीं भूलते. अपनी लोकेशन से कई किलोमीटर दूर से ही यह गड्ढा नजर आने लगता है. साल 2018 में राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर इसका नाम बदलकर 'शाइनिंग ऑफ़ काराकुम' रख दिया था. काराकुम रेगिस्तान में ये गड्ढा रात को भी दूर से दिखाई देता है और कई सैलानी इसे देखने जाते हैं.