रूस और यूक्रेन के बीच 2 हफ्तों से भी ज्यादा समय से युद्ध जारी है. अब तक की सारें बैठकें बेनतीजा रही हैं. लोगों का देश छोड़कर जाने का सिलसिला जारी है. यूक्रेन की खूबसूरती मिट चुकी है और उसके कई शहर नरक बन गए हैं लेकिन शांति का कोई कतरा नजर नहीं आ रहा. रूस के सैनिक राजधानी कीव को चारों ओर से घेर रहे हैं. रूस ने यूक्रेन के कई बड़े शहरों को अपने नियंत्रण में ले लिया है. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर रूस यूक्रेन से चाहता क्या है.... साथ ही जानेंगे कि जंग को रोकने के लिए रूस ने यूक्रेन के सामने क्या शर्तें रखी हैं और इनके मायने क्या हैं? आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
रूस की पहली शर्त है कि यूक्रेन को तत्काल संविधान में संशोधन कर खुद को गुटनिरपेक्ष घोषित कर देना चाहिए. यहां रूस का सीधा इशारा यूरोपीय देशों की तरफ है. अपनी इस शर्त से रूस चाहता है कि यूक्रेन संवैधानिक तौर पर भी यूरोपीय देशों से दूर रहे और यूक्रेन की नीति यूरोपीय देशों से प्रेरित नहीं होनी चाहिए. रूसी राष्ट्रपति पुतिन यही चाहते हैं कि यूक्रेन उनके इशारों पर चले और उन्हीं देशों से उसके साथ संबंध बनाए जिनके साथ रूस चाहता है.
रूस की दूसरी शर्त है कि यूक्रेन किसी सैन्य ब्लॉक का हिस्सा नहीं बनना चाहिए. ऐसा करने के पीछे उसका सीधा इशारा नाटो की तरफ है. रूस चाहता है कि किसी भी कीमत पर यूक्रेन नाटो देशों में शामिल न हो. इस जंग की शुरुआत होने कई वजहों में से एक कारण यह भी है.
रूस और नाटो के बीच विवाद नया नहीं है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब नाटो बनाया गया तो उस वक्त पश्चिमी देश नाटो से जुड़े थे, लेकिन यह धीरे-धीरे ईस्ट की तरफ बढ़ रहा है, जो रूस को पसंद नहीं आ रहा है. विवाद की वजह यह भी है कि नाटो को सोवियत संघ के खिलाफ बनाया गया था और रूस सोवियत संघ का ही हिस्सा था.
रूस की तीसरी शर्त है कि तत्काल प्रभाव से क्रीमिया को रूस का हिस्सा माना जाए. दरअसल, क्रीमिया कभी रूस का ही हिस्सा था, लेकिन 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव Khrushchev ने इसे यूक्रेन को बतौर पर उपहार दिया था. 2014 में रूस ने क्रीमिया पर हमला करके इसे अपने देश में मिला लिया था, लेकिन अब तक यूक्रेन ने इसे मान्यता नहीं दी.
रूस की चौथी शर्त है कि डोनेट्स्क और लुगांस्क को स्वतंत्र राज्य बना दिया जाए. ये दो क्षेत्र पूर्वी यूक्रेन के ऐसे प्रांत हैं जहां रूसी समर्थक हैं. 2014 में डोनबास प्रांत के डोनेत्स्क और लुहांस्क को यहां के अलगाववादियों ने स्वतंत्र घोषित किया था. रूस ने यहां पर हमला करके हाल में इसे स्वतंत्र राज्य की मान्यता दी थी लेकिन यूक्रेन ने इस पर विरोध जताया था. अब शर्तों के बहाने रूस चाहता है कि इस पर यूक्रेन की मुहर भी लग जाए. अगले कुछ दिन इस जंग में काफी महत्तवपूर्ण साबित होने वाले हैं. देखना होगा कि संकट से जूझ रहा यूक्रेन रूस के सामने घुटने टेकता है या नहीं.