रूस-यूक्रेन के बीच जंग को करीब 3 महीने होने वाले हैं। इन तीन महीनों में रूस की सेना ने यूक्रेन में भीषण तबाही मचाई है। रूस की गोलाबारी और मिसाइल अटैक में यूक्रेन की राजधानी समेत कई शहर खंडहर में तब्दील हो गए हैं। इसके बावजूद यूक्रेन रूस के सामने झुकने को तैयार नहीं है। नाटो देशों की मदद से यूक्रेन की फ़ौज रूस को कड़ी टक्कर दे रही है। उधर जंग की शुरुआत से ही अमेरिका यूक्रेन की बराबर मदद कर रहा है।फिर चाहे वो मिसाइल डिफेंस सिस्टम हो या एंटी टैंक मिसाइल की सप्लाई। बाइडेन अपना वादा निभा रहे हैं। 72 घंटे में यूक्रेन पर कब्जे का ख्वाब देखने वाले पुतिन ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की युद्ध इतना लंबा खिंच जाएगा। यूक्रेन को झुकाने की पुतिन हरसंभव कोशिश कर चुके हैं। लेकिन उनकी हर कोशिश नाकाम साबित हुई।यहां तक कि बौखलाए रूस ने परमाणु हमले तक की धमकी दे डाली लेकिन यूक्रेन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। लेकिन दुनिया के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियर हमले को लेकर चिंता जरूर जताई है। वैज्ञानिकों का दावा है 'अगर रूस ने यूक्रेन पर परमाणु बम गिराया तो अमेरिका समेत नाटो देश भी रूस के सैन्य ठिकानों पर एटम बम गिराने में नहीं चूकेंगे।
बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट की रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि। अगर रूस जंग को जीतने के लिए परमाणु बम का इस्तेमाल करता है तो नाटो देशों के पास 4 विकल्प होंगे। इसमें पहला विकल्प रूसी सेना के खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल करना। दूसरा विकल्प रूसी सेना के खिलाफ परंपरागत हथियारों से हमला करना।तीसरा विकल्प यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई बनाये रखना या फिर चौथा विकल्प यूक्रेन पर युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बनाना हो सकता है।
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अगर नाटो ने रूस पर परमाणु बम से हमला किया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। इसके बाद पूरा युद्ध रूस बनाम अमेरिका और रूस बनाम नाटो में बदल जाएगा।। लेकिन अच्छी बात ये है कि पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वो जंग में पहले परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
वैसे भी यूक्रेन से जंग लड़ते- लड़ते पुतिन अकेले पड़ गए हैं। कोई भी देश प्रत्यक्ष रूप से उनके साथ नहीं खड़ा। ऊपर से यूरोपीय यूनियन, नाटो समेत अमेरिका ने जो कड़े प्रतिबंध लगाए हैं उससे रूस की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। युद्ध के चलते रूस भीषण तंगहाली से गुजर रहा है।निर्यात में कमी होने से रूस का विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली होता जा रहा है। अब अगर बचे-कुचे यूरोपीय देशों ने गैस और पेट्रोलियम लेना बंद कर दिया तो रूस की हालत और खस्ता हो जाएगी।
देश की ऐसी हालत होने पर रूस की जनता भी विद्रोह कर सकती है। ऐसी सिचुएशन में पुतिन की टेंशन लगातार बढ़ती ही जा रही है।उधर उनकी बीमारी की भी ख़बरें सुर्खियों में हैं। ऐसी हालत में अगर पुतिन कोई गलत फैसला लेकर यूक्रेन पर परमाणु हमला कर बैठे तो ना चाहते हुए भी रूस-यूक्रेन की जंग तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ जाएगी।