जैविक हथियार यानी बायोलॉजिकल वेपन एक ऐसा हथियार है जो बिना धमाके के किसी भी देश को तबाह कर सकता है.. दुनिया में पहली बार जैविक हथियार का इस्तेमाल 1397 में मंगोलियाई सेना ने किया था. वहीं पिछले कुछ समय से चीन पर कोरोनावायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है. इधर यूक्रेन पर रूस द्वारा हमला किये जाने के बाद जैविक हथियार की चर्चा तेज हो गयी है.. दरअसल रूस के हमले शुरू होने के बाद से ही व्लादिमीर पुतिन प्रशासन दावा कर रहा है कि अमेरिका यूक्रेन के अंदर जैविक हथियार बना रहा है और उसने इसके लिए कई लैब्स भी बना रखी हैं.
तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि बायोलॉजिकल वेपन क्या होते हैं और कैसे होता है इनका इस्तेमाल? साथ ही बताएंगे कि क्या वाकई यूक्रेन में जैविक हथियार बना रहा था अमेरिका? बस आप वीडियो एक आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, जब बैक्टीरिया, वायरस और फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों का इस्तेमाल जानबूझकर इंसानों को संक्रमित करने के लिए किया जाता है तो इसे जैविक हथियार कहते हैं. इनका प्रयोग करके ही इंसान को नुकसान पहुंचाया जाता है. हालांकि इनमें से सबसे ज्यादा इस्तेमाल वायरस का होता है. जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं. ये लोगों में ऐसी बीमारियां पैदा कर देते हैं कि वो या तो मरने लगते हैं, या अपंग हो जाते हैं या फिर मनोरोगी हो जाते हैं.
बता दें कि बायोलॉजिकल वेपन का पहली बार इस्तेमाल 1347 में मंगोलियाई सेना ने किया था. मंगोलियाई सेना ने प्लेग से संक्रमित शव ब्लैक-सी के किनारों पर फेंक दिए थे. उस दौर में तेजी से संक्रमण फैलने के कारण ब्लैक डेथ महामारी फैली. नतीजा, 4 साल के अंदर यूरोप में 2.5 करोड़ लोगों की मौत हुई. इसी तरह 1710 में स्वीडन सेना से लड़ रही रूसी फौज ने एस्टोनिया के तालिन में घेरकर उन पर प्लेग से संक्रमित शव फेंके थे. वहीं, 1763 में ब्रिटिश सेना ने पिट्सबर्ग में डेलावेयर इंडियन को घेरकर चेचक वायरस से संक्रमित कंबल फेंके थे. इतना ही नहीं, विश्वयुद्ध में भी जैविक हथियारों का भी इस्तेमाल हुआ था.
अब आपको बताते हैं कि क्या वाकई यूक्रेन में जैविक हथियार बना रहा है अमेरिका?
असल में रूस ने ये चौंकाने वाला दावा एक सवाल पूछ कर किया है. रूस ने अमेरिका से पूछा है कि वो दुनिया को बताए कि उसने यूक्रेन में एक military biological programme की मदद क्यों की ? रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए कहा कि हम विशेष सैन्य अभियानों के कारण सामने आए तथ्यों की पुष्टि करना चाहते हैं, हम पूछ रहे हैं कि आप ( अमेरिका) वहां क्या रहे थे? हम यहां शांतिपूर्ण उपयोग या उनके वैज्ञानिक लक्ष्यों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. इन (कार्यक्रमों) को ‘यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस’ द्वारा वित्तपोषित किया गया था.
वहीं इस सवाल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सियासी माहौल गरमा दिया है. हालांकि इन आरोपों का यूक्रेन और अमेरिका दोनों ने खंडन किया है और इन आरोपों को बेतुका बता दिया है. यूक्रेन में कथित military biological programme के बारे में पहले के रूस के लगाए गए आरोपों के जवाब में पेंटागन के एक प्रवक्ता ने कहा कि ये बेतुका और स्पष्ट रूप से गलत इन्फॉर्मेशन है. इधर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के एक प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेन इस तरह के किसी भी आरोप से सख्ती से इनकार करता है.