एक तरफ आर्थिक तंगी और दूसरी तरफ आवाम की बडगाल हालत से जूझ रहा पाकिस्तान अब एक नै मुसीबत में पड़ गया है। मुसीबत इतनी बड़ी है कि अब पाकिस्तान के दो टुकड़े करने का प्लान चल रहा है। दरअसल पाकिस्तान के 100 से ज्यादा सैनिकों की हत्या करने वाले आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान के सामने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने घुटने टेक दिए हैं। यहां गौर करने वाली बात ये हैं कि पाकिस्तान में पैदा हुई इस स्थिति को लेकर कहीं न कहीं चीन जिम्मेदार है। माना जा रहा है कि चीन के दबाव में पाकिस्तानी सेना टीटीपी के साथ एक समझौता करने जा रही है जिससे पाकिस्तान के अंदर एक 'अलग' इस्लामिक देश का रास्ता साफ होगा। टीटीपी आतंकियों के शासन वाले इस इलाके में शरिया कानून लागू होगा। वहीं विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान और टीटीपी के बीच यह शांति समझौता आतंकियों के लिए एक बड़ी जीत की तरह से होगा।
बता दें कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन टीटीपी पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार की जगह पर अपनी सत्ता चाहते हैं जो शरिया कानून पर आधारित होगी। ये संगठन इतना खतरनाक है कि इसने अगस्त 2021 से लेकर मार्च 2022 के बीच में अब तक 119 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी हैं। आपको ये भी बता दें कि पाकिस्तानी सेना और टीटीपी के बीच हुए इस समझौते में तालिबान कि भी अहम भूमिका है. तालिबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने ही पाकिस्तानी सेना और टीटीपी के बीच हुए बीच हुए इस समझौते की मध्यस्तत की। सिराजुद्दीन हक्कानी भी एक कुख्यात आतंकी है जिसका अलकायदा के साथ मजबूत और पुराना रिश्ता है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अफगानिस्तान में इस वक्त 3 हजार से लेकर 5 हजार तक आतंकी मौजूद हैं। टीटीपी के साथ इस समझते के बाद अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में आतंकयों की संख्या में बड़ा इजाफा होगा और कई इलाके आतंकियों के गढ़ के रूप में तब्दील हो जायेंगे।
अब जरा ये भी समझिये की आखिर टीटीपी चाहता क्या है. टीटीपी की प्रमुख मांग है कि उसके नियंत्रण वाले इलाकों में शरिया कानून लागू किया जाए। बता दें की पाकिस्तान में चल रहे इस विवाद के बीच पाकिस्तान के एक बड़े नेता ने खुलासा किया था कि इस समझौते को लेकर पाकिस्तान की सेना और वहां की सरकार के ऊपर अंतराष्ट्रीय दबाव डाला जा रहा था ऐसे में इस पाकिस्तानी मंत्री का इशारा कहीं न कहीं चीन की तरफ ही था. माना जा रहा है कि चीन इसको लेकर दबाव इसलिए बना रहा था ताकि पाकिस्तान से होकर गुजरने वाले चीन के सबसे बड़े प्रोजेक्ट सीपीईसी के खिलाफ हो रहे हमले बंद हो और इसका काम जल्दी से जल्दी पूरा हो जाये।