पाकिस्तान. नाम सुनते ही आतंकवाद का ख्याल जेहन में ऐसे आता है जैसे ये कोई मुल्क नहीं बल्कि आतंक का अड्डा हो. यही वजह है कि पिछले तीन सालों से पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में बना है. वहीं चर्चा है कि आतंकी गतिविधियां बढ़ने के कारण पाक को ब्लैFक लिस्टि में शामिल किया जा सकता है. दरअसल FATF की प्लेनरी सेशन की मीटिंग 21 फरवरी से शुरू हो गयी है.. इस दौरान भारत समेत दुनियाभर की नजर पाकिस्तान के ब्लैक लिस्ट होने पर ही है..अगर FATF की ओर से पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हो गया तो वो एक-एक पैसे का मोहताज हो सकता है, क्योंकि पाकिस्तान को किसी भी फाइनेंशियल बॉडी से आर्थिक मदद नहीं मिलेगी। इससे उसकी अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच सकती है.. तो आज के KNOW THIS वीडियो में हम आपको बताएंगे कि ये FATF आखिर है क्या? ये ग्रे लिस्ट क्या होती है जिसमें पाकिस्तान बना हुआ है? साथ ही बताएंगे कि ब्लैक लिस्ट होने पर पाकिस्तान पर इसका क्या असर पड़ेगा? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे मामलों में तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करता है. अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे 39 देशों का यह ग्रुप फाइनेंशियल ऑफेंसेज को बढ़ावा देने वाले देशों पर लगाम लगाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो ये संगठन आतंकवाद को आर्थिक सहायता मुहैया कराने वाले देशों पर नजर रखता है. आतंकी गतिविधियों और हथियारों के लिए होने वाली फंडिंग को रोकता है. इसलिए कोई भी देश इसकी 'ग्रे या ब्लैक लिस्टग' में नहीं आना चाहता. क्योंकि FATF की लिस्ट में आने का मतलब है आफत को दावत देना.
ग्रे लिस्ट दरअसल ब्लैक लिस्ट की वॉर्निंग है. यानी अगर कोई देश अपनी जमीन पर होने वाली आतंकी गतिवधियों पर काबू करने में नाकाम रहता है. देश में मौजूद आतंकी संगठनों को मिलने वाली फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नकेल कसने में असफल रहा तो उसे ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाला जा सकता है. ग्रे लिस्ट में आने वाले देशों को FATF के 27 टारगेट यानी शर्तों को पूरा करना होता है. जिसकी निगरानी एक समिति करती है. ब्लैक लिस्ट में उन देशों को डाला जाता है जो शर्तों के पालन में FATF का सहयोग नहीं करते. उन पर लगने वाली पाबंदियां बेहद कठोर होती हैं. उन्हें अंतरराष्ट्रीय बहिष्कार का सामना करना पड़ता है. ईरान और नॉर्थ कोरिया दो ऐसे देश हैं जो FATF की ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं.
बता दें कि पाकिस्तान FATF की बैठक से इसलिए इतना घबरा रहा है क्योंकि, 2008 में पाकिस्तान को पहली बार FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था. इसके बाद 2009 में वो इस लिस्ट से बाहर हो गया था..2012 में पाकिस्तान को एक बार फिर FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था. हालांकि, 2015 में फिर वह बाहर निकलने में कामयाब रहा था.पाकिस्तान जून 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था..पाकिस्तान इस दौरान FATF की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है.. वहीं इस समय पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिलनी जारी है..
अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आना है तो उसे FATF के 39 सदस्यों में से कम से कम 12 सदस्यों के समर्थन को जुटाना होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान का ग्रे लिस्ट से बाहर आना संभव नहीं है. अभी पाक समेत 23 देश FATF की ग्रे लिस्ट में हैं.
अगर पाकिस्ता्न ग्रे से ब्लै क लिस्ट में शामिल हुआ तो इसका पाकिस्तान पर कई तरह से असर पड़ेगा.उसके हालात बद से बदतर हो जाएंगे. पाकिस्तान काफी हद तक विदेशी कर्ज और निवेशकों पर निर्भर है. अगर वो ब्लैक लिस्ट होता है, तो उसको ये मदद मिलनी बंद हो जाएगी. IMF, विश्व बैंक जैसे बड़े कर्जदार इमरान खान सरकार को वित्तीय मदद करने से पहले सावधानी बरतेंगे. इसके अलावा नियमों का उल्लंघन न हो, इसके लिए पूरी जांच भी की जाएगी. बता दें कि पाकिस्तान पर 21.4 लाख करोड़ भारतीय रुपए के बराबर का कर्ज है.. जबकि ग्रे लिस्ट में रहने के चलते पाकिस्तान को हर साल 74 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है.. हालांकि इसकी संभावना कम है कि वो ब्लैक लिस्ट होगा।। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान आगे भी ग्रे लिस्ट में बना रह सकता है.